महाराष्ट्र में सियासी घटनाक्रम लगातार बदलता जा रहा है. एनसीपी का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने वाले अजित पवार को मनाने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं. सोमवार को NCP नेता छगन भुजबल समेत कई नेता अजित पवार से मुलाकात करने पहुंचे और उन्हें मनाने की कोशिश की. लेकिन एनसीपी नेता अजित पवार को मनाने में नाकाम ही रहे. एक लंबी मुलाकात के बाद जब छगन भुजबल बाहर निकले तो अजित पवार भी विधानसभा से सीधे अपने घर के लिए रवाना हुए.
सोमवार सुबह एनसीपी नेता जब अजित पवार को मनाने पहुंचे तो उन्हें बार-बार वापस आने को कहा गया. सूत्रों की मानें, एनसीपी नेताओं की ओर से अजित पवार को कहा गया कि अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो उनकी हार होगी. लेकिन एनसीपी चाहती है कि अजित पवार वापस आ जाएं ताकि पवार परिवार पर कोई असर ना पड़े.
बता दें कि अजित पवार को आज ही उपमुख्यमंत्री पद का पदभार संभालने के लिए मंत्रालय जाना था, लेकिन वह नहीं जा पाए हैं. वहीं दूसरी ओर देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाल चुके हैं.
अजित पवार से मिलने के बाद क्या बोले भुजबल?
अजित पवार से मिलने के बाद छगन भुजबल ने कहा कि हमने विचार विमर्श किया है, कुछ रास्ता निकले इसके लिए कोशिश जारी है. सकारात्मक तरीके से कुछ ना कुछ रास्ता निकले इसके लिए हम काम कर रहे हैं. जब छगन भुजबल से पूछा गया कि क्या अजित पवार को पार्टी से बाहर निकाला जाएगा तो उन्होंने कहा कि इस बात को वह शरद पवार तक पहुंचाएंगे. हालांकि, जयंत पाटिल ने कहा कि वह अजित पवार से एक बार फिर मुलाकात करेंगे.
Chief Minister's Office, Maharashtra: CM Devendra Fadnavis’ first signature of this tenure was done on a CM Relief Fund cheque, on reaching Mantralaya, which was handed over to Kusum Vengurlekar by the Chief Minister. pic.twitter.com/e9klSBasiN
— ANI (@ANI) November 25, 2019
अजित पवार को मनाने के लिए पहले छगन भुजबल वहां पर थे, उसके बाद जयंत पाटिल, वाल्से पाटिल समेत अन्य नेता भी पहुंचने लगे. बता दें कि अभी तक शरद पवार ने अजित पवार से बात नहीं की है. हालांकि दोनों नेताओं की तरफ से लगातार ट्विटर पर बयानबाजी की जा रही थी.
राज्यपाल को एनसीपी-कांग्रेस ने सौंपा समर्थन पत्र
एनसीपी का दावा है कि 54 में से 53 विधायक उनके साथ हैं, जो अजित पवार के साथ होने का दावा कर रहे थे वो भी अब वापस आ चुके हैं. इसी के बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की तरफ से राजभवन जाकर करीब 162 विधायकों के समर्थन वाला पत्र सौंपा गया.
एनसीपी का कहना है कि फ्लोर टेस्ट के बाद दोबारा राष्ट्रपति शासन ना लग जाए, यही कारण है उन्होंने सरकार बनाने का दावा किया.