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महाराष्ट्र पॉलिटिक्स: क्या एनसीपी छोड़कर बीजेपी में शामिल होंगे अजित पवार? जानें क्या दिया जवाब

एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं. वह इससे पहले 2019 विधानसभा चुनाव में पार्टी लाइन से अलग जाकर फडणवीस के साथ सरकार बना चुके हैं. हालांकि तब शरद पवार के दबाव में उन्हें वापस आना पड़ा था. 

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अजित पवार और अमित शाह की मुलाकात को लेकर हो रही चर्चा (फाइल फोटो)
अजित पवार और अमित शाह की मुलाकात को लेकर हो रही चर्चा (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र में एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. उद्धव गुट के नेता संजय सिंह ने पिछले दिनों यह दावा किया कि एनसीपी नेता अजित पवार बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इसी के बाद अजित पवार के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं. हालांकि जब अजित पवार से पूछा गया कि क्या आप बीजेपी से संपर्क में हैं? इस पर उन्होंने कहा- मैंने सुबह सब बातें मीडिया को बता दी हैं. आप फिर से क्यों सवाल कर रहे हैं. दरअसल सुबह अजित पवार से पूछा गया था कि अमीत शाह से आप की मूलाकात की चर्चा सामने आ रही है इस पर उन्होंने जवाब दिया था कि अमित शाह के साथ मुलाकात की खबरें झूठी हैं. मीडिया  मेरे बारे में गलत खबरें फैला रही है.

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ऐसे उनके जाने की लगने लगीं अटकलें

एनसीपी चीफ शरद पवार ने सबसे पहले कांग्रेस के अडानी मामले में जेपीसी की मांग को खारिज कर दिया था. इसके बाद उनके भतीजे अजित पवार पीएम मोदी के करिश्मे की तारीफ कर दी थी. इतना ही नहीं उन्होंने उस EVM पर भी भरोसा जताया था. उन्होंने कहा था, मुझे ईवीएम पर पूरा भरोसा है. कोई एक व्यक्ति ईवीएम में हेरफेर नहीं कर सकता है, यह एक बड़ी प्रणाली है. हारने वाली पार्टी ईवीएम को दोष देती है, लेकिन यह लोगों का जनादेश है.उन्होंने कहा था, जिस पार्टी के केवल दो सांसद थे, उसने पीएम मोदी के नेतृत्व में साल 2014 में जनादेश से सरकार बनाई और देश के दूर-दराज वाले इलाकों में पहुंच गई तो क्या ये मोदी का करिश्मा नहीं है? 

इन सबके बीच BJP ने NCP को साथ आने का न्योता दे दिया था. बीजेपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा था कि अगर राष्ट्रवादी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) राष्ट्रवाद के साथ आना चाहते हैं, तो किसी को क्या समस्या? अजित पवार ने महागठबंधन में पड़ रही रार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. महाराष्ट्र में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था. वहीं, एनसीपी कांग्रेस के साथ मिलकर मैदान में उतरी थी. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था. लेकिन सीएम के पद को लेकर दोनों पार्टियों में विवाद हो गया था. इसके बाद बीजेपी और शिवसेना की राह अलग अलग हो गई थीं.  शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई थी. एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव सरकार गिर गई, लेकिन महाविकास अघाड़ी गठबंधन बरकरार रहा था, लेकिन अब इसमें फूट पड़ती दिख रही है. 

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उधर, अजित पवार ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को महा विकास अघाड़ी में रार की वजह बताया. अजित पवार ने कहा, नाना पटोले द्वारा मीडिया में दिए जा रहे बयान अनावश्यक हैं. वे अघाड़ी में दरार पैदा करने वाले हैं. वे मीडिया में बयान क्यों देते हैं? अगर उनके पास सवाल हैं, तो वे मुझसे या उद्धव जी से बात कर सकते हैं. 

क्या एनडीए में शामिल होगी एनसीपी?

जैसे जैसे लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे वैसे महाराष्ट्र में भी समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं. एक ओर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत विभिन्न विपक्षी दल रणनीति के तहत मोदी सरकार को घेरने में जुटे हैं. जहां राहुल लगातार अडानी और सावरकर के मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे हैं, तो वहीं AAP  पीएम की फर्जी डिग्री मामले पर पीएम मोदी और उनकी सरकार पर निशाना साध रही है. इन सबके बीच शरद पवार ने विपक्ष के मुद्दों पर ही अख्तियार रुख अपना लिया है. उन्होंने पिछले 13 दिन में सावरकर, अडानी, पीएम की फर्जी डिग्री मामले पर बीजेपी को राहत देने वाले बयान दिए. शरद पवार के बयान को विपक्षी एकजुटता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. 

अजित फडणवीस को दे चुके हैं समर्थन

एमवीए नेताओं में मतभेद और शरद पवार-अजित पवार के बयानों के बाद एनसीपी के एनडीए में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं. वैसे भी अजित पवार का बीजेपी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर किसी से छिपा नहीं है. वे 2019 विधानसभा चुनाव में एनसीपी की पार्टी लाइन से अलग जाकर फडणवीस के साथ सरकार बना चुके हैं. हालांकि, शरद पवार के दबाव के बाद अजित पवार को वापस लौटना पड़ा था. 72 घंटे में ही उन्होंने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.

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