महाराष्ट्र की सियासत में रविवार को बड़ी हलचल हुई. एनसीपी से बागवत कर महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हुए अजित पवार अचानक शरद पवार से मिलने के लिए वाईबी चव्हाण सेंटर पहुंचे. बागी विधायक भी अजित पवार के साथ शरद पवार से मिलने पहुंचे थे.
मुलाकात के बाद प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हम शरद पवार का आशीर्वाद लेने आए हैं. हमारे सभी मंत्री बिना समय मांगे यहां आए. हमने उनसे अनुरोध किया है कि वह फैसला करें कि एनसीपी कैसे एकजुट रह सकती है. हालांकि, पवार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
प्रफुल्ल ने कहा, 'हम सबने शरद पवार से आग्रह किया और बताया कि आपके प्रति हम सबके मन में सम्मान है. हमारे सारे मंत्री अजित पवार के नेतृत्व में महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे.'
इस बारे में जब महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से बात की गई तो उन्होंने कहा,'मुझे नहीं पता कि वे (अजित पवार और अन्य मंत्री) उनसे (शरद पवार) मिलने गए थे या नहीं. सालों तक शरद पवार उनके नेता रहे हैं, इसलिए वे उनसे मिलने गए होंगे. इसमें और कुछ नहीं होना चाहिए.
बता दें कि 2 जुलाई को महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक नया मोड़ आया था. अजित के नेतृत्व में एनसीपी के दिग्गज नेताओं ने पार्टी से बगावत कर दी थी और एनडीए में शामिल हो गए थे. अजित समेत 9 विधायक सरकार में शामिल हो गए थे. अजित डिप्टी सीएम बने थे.
चाची से मिलने घर गए थे अजित
बता दें कि अजित पवार दो दिन पहले ही शरद पवार के घर पहुंचे थे. वहां उनकी मुलाकात चाचा शरद पवार और छोटी बहन सुप्रिया सुले से मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई थीं. हालांकि बाद में अजित पवार ने मुलाकात की वजह बताई थी. अजित का कहना था कि वे अपनी चाची (प्रतिभा पवार) से मिलने और उनका स्वास्थ्य जानने के लिए गए थे. अजित को अपनी चाची प्रतिभा का करीबी माना जाता है.
'सर्जरी के बाद घर आई थीं चाची'
बगावत के बाद पहली बार चाचा-भतीजे के बीच मुलाकात हुई थी. जिसके बाद सरगर्मियां तेज हो गई थीं. हालांकि, बाद में मुलाकात की वजह साफ हो गई थीं. दरअसल, शरद पवार की पत्नी प्रतिभा को शुक्रवार को सर्जरी के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. अजित उनसे मुलाकात करने के लिए घर पहुंचे थे. इससे पहले अजित खेमे के मंत्री छगन भुजबल ने प्रतिभा पवार के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की थी.
2022 में एकनाथ शिंदे बने सीएम
जून 2022 में महाविकास अघाड़ी सरकार को तब बड़ा झटका लगा था, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी. पार्टी में फूट के बाद उद्धव को इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे सीएम बनाए गए थे. जबकि देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बन गए थे.