यह देश का दुर्भाग्य है. सरकार के लिए शर्मनाक और विपक्ष के चेहरे पर तमाचे से कहीं ज्यादा. संसद की सीढ़ियों से लेकर सदन के भीतर तक हर जगह इन दिनों किसानों के मुद्दों पर चर्चा हो रही है. लेकिन अफसोस कि इन सब के बावजूद जमीन पर कहीं कुछ बदलाव नजर नहीं आ रहा क्योंकि महाराष्ट्र के विदर्भ में मंगलवार सुबह एक किसान परिवार के 5 सदस्यों ने आत्महत्या कर ली है.
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार सुबह एक ही परिवार के पांच सदस्यों ने फसल बर्बादी को देखते हुए और तंगहाल से परेशान होकर विदर्भ के अकोला में आत्महत्या का कदम उठाया है. यकीनन देश के लिए किसानों के सुसाइड की खबरें अब नई नहीं रह गई हैं. लेकिन जिस देश को किसानों का देश कहा जाता हो, वहां किसानों की तंगहाली और आत्महत्या की खबरें अपनी पहचान खोने जैसी हैं.
लाशों का अंबार, कहां हो सरकार
देशभर के खेतों में खराब फसल का अंबार है. किसान हताश हैं और उनकी यह हताशा आत्महत्या में बदल रही है. दुखद यह है कि तमाम सरकारी आश्वासनों के बाद भी किसानों के सुसाइड करने की घटना थमने का नाम नहीं ले रही है. महाराष्ट्र सरकार की ओर से हाल ही जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2015 तक प्रदेश में 601 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. यानी महाराष्ट्र में हर रोज करीब 7 किसान सुसाइड कर रहे हैं.
साल 2014 में महाराष्ट्र में करीब 1981 किसानों ने सुसाइड किया था. इस हिसाब से पिछले साल की तुलना में इस बार सुसाइड का आंकड़ा करीब 30 फीसदी तक बढ़ गया है. ये हालात ऐसे दौर के हैं, जब महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार लगातार किसानों के मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की बात कर रही है.
महाराष्ट्र के विदर्भ में सुसाइड के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी विदर्भ इलाके से हैं. जनवरी से लेकर मार्च तक विदर्भ में 319 किसानों ने सुसाइड किया था.