मुंबई की अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट का उपचुनाव उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच सीधा मुकाबला है. उद्धव खेमे से चुनावी मैदान में उतरी दिवंगत रमेश लटके की पत्नि ऋतुजा लटके को कांग्रेस से लेकर एनसीपी और लेफ्ट ने समर्थन दे रखा है. वहीं, शिंदे खेमे से मूरजी पटेल उम्मीदवार है, जिन्हें बीजेपी समर्थन कर रही है.
ऐसे में राज ठाकरे भी ऋतुजा के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं और साथ ही बीजेपी से समर्थन की गुहार लगाई है. ऐसे में सवाल उठता है कि उद्धव के साथ छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले राज ठाकरे क्यों समर्थन में उतरे हैं और उद्धव खेमे की प्रत्याशी को जीत दिलाने के लिए बीजेपी को ख़त क्यों लिख रहे हैं?
शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद मुंबई अंधेरी ईस्ट सीट पर होने वाले उपचुनाव पर सभी की निगाहें हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने उपचुनाव में कैंडिडेट नहीं उतारा और शनिवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने राज ठाकरे से मिले. राज ठाकरे ने उद्धव खेमे से चुनावी मैदान में उतरी ऋतुजा लटके का सिर्फ साथ ही नहीं दिया बल्कि डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र लिखकर बीजेपी से समर्थन मांगा ताकि उन्हें निर्विरोध तौर पर जीत दिलाई जाए.
राज ठाकरे का पत्र
राज ठाकरे ने पत्र में कहा कि बीजेपी को अंधेरी ईस्ट सीट के उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं खड़ा करना चाहिए, ऐसा इसलिए कि ऋतुजा लटके अपने दिवंगत पति रमेश लटके के स्थान पर चुनाव लड़ रही हैं. ऐसा करके हम लोग उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं. उन्होंने आगे लिखा है, 'ऐसा करना हमारे महाराष्ट्र की महान संस्कृति के अनुरूप भी है. मुझे उम्मीद है कि आप मेरे अनुरोध को स्वीकार करेंगे. राज ठाकरे ने कहा कि रमेश लटके एक अच्छे कार्यकर्ता थे और उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत शाखा प्रमुख के पद से की थी. मैं उनकी राजनीतिक यात्रा का गवाह हूं. उनकी मृत्यु के बाद अगर उनकी पत्नी विधायक बनती हैं तो रमेश की आत्मा को शांति मिलेगी.
मुंबई अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव में नाम वापस लेने के लिए आज अंतिम तारीख है. अंधेरी सीट पर कुल 14 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन असली लड़ाई ऋतुजा लटके और मूरजी पटेल के बीच है. कांग्रेस-एनसीपी का समर्थन मिलने से उद्धव खेमा का पल्ला भारी हो सकता है, क्योंकि रमेश लटके के निधन से ऋतुजा लटके प्रति लोगों की सिंपैथी और मराठी बहुल सीट होने का भी फायदा मिल रहा.
अंधेरी ईस्ट सीट पर सबसे ज्यादा मराठी वोटर
वहीं, बीजेपी खुद अंधेरी उपचुनाव में उतरने के बजाय अपने नेता मूरजी पटेल को शिंदे खेमे से उतारा है, लेकिन राज ठाकरे का उद्धव ठाकरे खेमे के साथ खड़े हो जाने के सारा खेल गड़बड़ा गया है. इसकी वजह यह है कि अंधेरी ईस्ट सीट पर सबसे ज्यादा मराठी वोटर हैं और राज ठाकरे का साथ मिलने से उद्धव खेमे की स्थिति मजबूत हो गई है, क्योंकि राज ठाकरे अगर शिंदे को समर्थन करते तो मराठी वोटों में बिखराव हो सकता है.
उद्धव खेमे से चुनावी मैदान में उतरी ऋतुजा लटके मराठी भाषी है तो शिंदे खेमे से उतरे मूरजी पटेल गुजराती भाषी हैं. ऐसे में राज ठाकरे मूरजी के समर्थन करके मराठी विरोधी होने के आरोपों से बचना चाहते हैं, जिसके चलते उद्धव खेमे को सिर्फ समर्थन ही नहीं किया बल्कि बीजेपी से भी समर्थन की गुहार लगाई है. ऐसे में शिंदे खेमे से उतरे मूरजी पटेल की उम्मीदवारी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
बता दें कि मूरजी पटेल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन होने के चलते निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं. तब उनको 45 हजार के करीब वोट मिले थे, लेकिन उस समय बीजेपी की उन्हें सीक्रेट मदद की थी. इसके बाद भी रमेश लटके जीतने में सफल रहे थे. ऐसे में अब शिंदे खेमे उन्हें उपचुनाव में उतारकर उद्धव के कोर वोट में सेंधमारी करते हैं तो उसकी भरपाई कांग्रेस और एनसीपी के वोट कर सकते हैं. इस तरह से मूरजी पटेल के लिए सियासी राह काफी मुश्किलों भरी है, जिसे राज ठाकरे भी बाखूबी समझ रहे हैं.
ऋतुजा लटके के फेवर में वोटों का समीकरण
अंधेरी ईस्ट सीट पर वोटों का सारा समीकरण ऋतुजा लटके के फेवर में दिखाई दे रहा है. रमेश लटके इस क्षेत्र से तीन बार पार्षद और दो बार विधायक रहे हैं. ऐसे में इस पूरे इलाके में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. ऐसे में अब रमेश के निधन के बाद उनकी पत्नि चुनावी मैदान में हैं तो राज ठाकरे भी बहुत ज्यादा असर डालने की स्थिति में नहीं है. सीट पर गुजराती वोट कोई खास नहीं है जबकि मराठी वोटर निर्णायक हैं. इसके अलावा उत्तर भारतीय वोटर की संख्या है.
कांग्रेस के न उतरने से मुस्लिम-क्रिश्चियन और अन्य समाज का वोट उद्धव ठाकरे के खेमे की कैंडिडेट को जा सकता है. ऐसे में शिवसेना अपने कोर वोटबैंक और मराठी वोटों के सहारे ऋतुजा लटके की जीत की आस लगाए है. राज ठाकरे ने समर्थन कर उसके अरमानों को और भी मजबूत कर दिया है, लेकिन अब देखना है कि अंधेरी ईस्ट सीट पर बीजेपी क्या शिंदे खेमे से उतरे कैंडिडेट को हटाने के लिए दबाव बनाएगी.
महाराष्ट्र में जब से शिंदे-फडणवीस सरकार आई है तभी से उद्धव ठाकरे गुट के साथ सनातनी बनी हुई है. एकनाथ शिंदे ने पहले उद्धव ठाकरे के हाथों से सत्ता छीनी और पार्टी के दो तिहाई विधायक को अपने साथ मिला रखा है. शिवसेना पर अपना कब्जा जमाने की कवायद में है. दशहरा रैली पर उद्धव और शिंदे खेमे के बीच जमकर राजनीतिक बयानबाजी हुई थी और अब अंधेरी विधानसभा उपचुनाव में भी वही राजनीति एक बार फिर देखने को मिली. ऐसे में देखना है कि उद्धव और शिंदे की लड़ाई में अंधेरी सीट पर कौन कब्जा जमाता है?