महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख जेल से रिहा होने के बाद 15 महीने में पहली बार अपने गृहनगर नागपुर पहुंचे. यहां शनिवार को उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया है. दरअसल, जमानत पर रिहा हुए एनसीपी नेता का नागपुर एयरपोर्ट पर पहुंचने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया.
इसके बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "मुझ पर 100 करोड़ रुपये (लॉन्ड्रिंग) का आरोप लगाया गया था, लेकिन चार्जशीट में यह राशि घटकर 1.71 करोड़ रुपये रह गई. एजेंसियां 1.71 करोड़ रुपये के लिए भी सबूत पेश करने में नाकाम रहीं."
देशमुख ने दावा किया कि हाईकोर्ट ने देखा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामलों में कोई दम नहीं है. उन्होंने कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह, जिन्होंने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, आरोपों की जांच के लिए गठित चांदीवाल आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए.
बता दें कि नागपुर जिले के काटोल से विधायक और नागपुर शहर के निवासी देशमुख को ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के एक साल से अधिक समय बाद दिसंबर 2022 में जमानत पर रिहा कर दिया गया था. इसके बाद से वह लगातार खुद को झूठे मामलों में फंसाए जाने का आरोप लगा रहे हैं.
क्या है ये पूरा कांड?
जानकारी के लिए बता दें कि इस वसूली कांड में अनिल देशमुख की साल 2021 नवंबर में गिरफ्तारी हुई थी. उस एक केस ने तब की महा विकास अघाड़ी सरकार को मुश्किलों में डाल दिया था. एक के बाद एक इतने आरोप लगे थे, सराकर के लिए जवाब देना मुश्किल साबित हो रहा था. असल में देशमुख पर आरोप था कि उन्होंने महाराष्ट्र के गृह मंत्री रहते हुए एपीआई सचिन वाजे को ऑर्केस्ट्रा बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने के आदेश दिए थे. उस समय मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह की एक चिट्ठी ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए थे.