सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे निर्भया के दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की मांग को लेकर मौन व्रत पर हैं. अन्ना ने मौन व्रत पर जाने के पहले आखिरी बात करते हुए कहा था कि 'ये मेरा अल्टीमेटम है सरकार को, जबतक दोषियों को फांसी नहीं होती तब तक मेरा मौन जारी रहेगा.
आपको बता दें कि अन्ना हजारे ने 9 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था और कहा कि जब तक दोषियों को फांसी का निर्णय नहीं होगा तब तक मौन व्रत रखेंगे और अगर फांसी का फैसला नहीं हुआ तो दस दिनों बाद आमरण अनशन शुरू करेंगे.
20 दिसंबर से मौन व्रत पर अन्ना
सर्वोच्च अदालत द्वारा निर्भया के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने के बाद अन्ना ने आमरण अनशन शुरू तो नहीं किया लेकिन वे इस मांग को लेकर मौन व्रत पर चले गए कि जब तब फांसी नहीं दी जाती तब तक मौन व्रत रखेंगे. अन्ना 20 दिसंबर से मौन व्रत पर हैं.
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44 दिनों तक मौन व्रत पर रहे हैं अन्ना
31 जनवरी को अन्ना हजारे के मौन व्रत के 42 दिन हों जाएंगे. इसके पहले अन्ना ने 12 दफे मौन व्रत आंदोलन किया है. अन्ना के सहयोगी संजय पठाडे ने आजतक को कहा कि 1990 में अन्ना का मौन व्रत सबसे लंबा 44 दिन चला था.
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उस वक्त अन्ना ने उन 13 वन अधिकारियों के खिलाफ अंदोलन किया था जिनपर आरोप लगा था कि वन विभाग का आवश्यक साजो सामान ज्यादा दाम में खरीदा गया. इस मामले में दो बार आंदोलन और आमरण अनशन करने के बावजूद जांच नहीं की जा रही थी इसलिए सामाज सेवी अन्ना हजारे ने मौनव्रत शुरू क्या और 44 दिनों बाद राज्य सरकार ने जांच का आश्वासन दिया. जांच के बाद 13 अधिकारी दोषी पाए गए थे.