दिल्ली में एक ओर जहां किसान आंदोलन की आग सुलगी हुई है, ऐसे में समाजसेवी अन्ना हजारे ने 30 जनवरी को आमरण अनशन का ऐलान कर दिया था. अन्ना के इस ऐलान के बाद सरकार हरकत में आ गई. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के साथ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनसे मुलाकात की. इसे मुलाकात के परिणाम सकारात्मक रहे. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री द्वारा दिये गये प्रस्ताव के बाद अन्ना हजारे मान गये हैं.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि अन्ना हजारे की कई मांगों को लेकर ठोस कदम उठाये जाएंगे. केंद्र सरकार ने अन्ना हजार के पत्रों का जवाब भी दिया है. उनके मुताबिक कृषि बजट में बढ़ोत्तरी भी की गई है. जो बजट पहले 23 हजार करोड़ का हुआ करता था, अब की बार सरकार ने उसे बढ़ाकर 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का किया है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि 15 मांगों पर उच्चस्तरीय कमेटी ने अभी तक सकारात्मक कदम नहीं उठाये, इसी वजह से अनशन की बात कही गई थी. अब इस मामले में एक्सपर्ट की कमेटी गठित की गई है, उस लिस्ट में अन्ना हजारे का नाम भी शामिल है. इस कमेटी को छह महीने का समय दिया गया है. पहले चुनाव और फिर कोरोना महामारी के चलते अन्ना हजारे की मांगों पर विचार नहीं हो सका, लेकिन अब इसमें देरी नहीं होगी.
ये बोले अन्ना हजारे
अन्ना हजारे ने आजतक से बातचीत के दौरान कहा कि उनकी पहली मांग स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करना है. स्वामीनाथन आयोग कह रहा है कि केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा तथा स्वायत्तता देना और कृषी उपज को लागत मूल्य, यानि हल चलाने से, फसल निकालने तक, मार्केट में ट्रांसपोर्ट करना, बीज, खाद के ऊपर 50 प्रतिशत बढ़ाकर सी-2 में 50 प्रतिशत मिलाकर MSP (किमान समर्थन मूल्य) देने की बात कही थी, लेकिन अब वो नहीं दे रहे हैं, क्योंकि राज्य कृषिमूल्य आयोग ने जो लागत केंद्र कृषि मूल्य आयोग को लिखकर दिया है, उस msp में केंद्र कृषि मूल्य आयोग 30% से, 40%, 50% तक कटौती कर देते है. अन्ना हजारे ने बताया कि केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को चुनाव आयोग की तरह ही स्वायत्तता देनी चाहिए, जिसके कारण सरकार का हस्तक्षेप नहीं होगा और किसानों को सही दाम उनकी उपज का मिलेगा.
जब अन्ना हजारे से पूछा गया कि पिछले 6 वर्षों में उन्होंने जो केंद्र सरकार को खत लिखे हैं, उसका सही मायने में जवाब नहीं आया, लेकिन अब अचानक केंद्र सरकार ने उन्हें खतों के जवाब देना शुरू किये हैं, यही नहीं केंद्र से राज्य कृषि मंत्री भी अन्ना से मिलने रालेगण सिद्धि पहुंचे हैं. यह बदलाव कैसे हुआ क्या कारण है इसके पीछे. इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी पक्ष या पार्टी की हो जब उन्हें एहसास होता है कि किसी भी आंदोलन से उनके सत्ता को नुकसान पहुंच सकता है, तब उनकी भागदौड़ शुरू हो जाती है, जब तक यह महसूस नहीं होता तब तक सरकार कुछ नहीं करती. मेरे किसी पत्र का जवाब नहीं आया, लेकिन जब अनशन का ऐलान किया, तो उन्हें एहसास हो गया कि अगर अन्ना खत्म हो गया, तो लोगों के मन में अन्ना के लिए जो सम्मान है, उससे उन्हें खतरा हो सकता है, इसलिए शायद वह कुछ कदम उठा रहे हैं और यहां मुझे मिलने आ रहे हैं.
किसान आंदोलन पर ये है राय
अन्ना हजारे को जब पूछा कि दिल्ली में पंजाब और हरियाणा के किसान जो आंदोलन कर रहे हैं उनकी जो मांगे हैं और आपकी जो मांगे हैं उन में क्या समानता है या दोनों की मांगे भिन्न हैं. इस पर अन्ना हजारे ने बताया कि दोनों का उद्देश्य एक ही है. किसानों की भलाई और इसीलिए मैंने शुरू शुरू में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को सपोर्ट किया था और कहा था कि उनके आंदोलन में जो मुझे अच्छा ही दिखाई दे रही है वो है अहिंसा. वह शांति के मार्ग से आंदोलन कर रहे हैं यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है. आंदोलनकारी जितना भी अहिंसा के मार्ग से आंदोलन करेंगे तो सामने वाला कुछ नहीं कर सकता. लेकिन परसों के दिन लाल किले पर जो तोड़फोड़ देखने को मिली और वहां पर किसी ने झंडा फहराया वह देख कर बहुत दुख हुआ. यह बहुत गलत हुआ इसलिए जो सपोर्ट मैंने इन्हें किया था अब मैं उन्हें समर्थन नहीं करता हूं.
दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन से लोगों का ध्यान हटाने के लिए अन्ना हजारे का आमरण अनशन शुरू किया जा रहा है, ऐसी अफवाह को लेकर उन्होंने कहा आरोप लगाने वाले आरोप लगाते रहेंगे. मेरा आंदोलन नया नहीं है. रामलीला मैदान में 23 मार्च 2018 को आंदोलन किया था. उसके बाद रालेगण में 30 जनवरी 2019 को इसी विषय में आंदोलन किया. आश्वासन दिया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया, इसलिये आमरण अनशन का ऐलान किया था.