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मुंबई: डोनाल्ड ट्रम्प जिस कोरोना एंटीबॉडी कॉकटेल से ठीक हुए, उसे BMC ने दिखाई हरी झंडी

एंटीबॉडी कॉकटेल (Antibody cocktail) प्रयोग में कोरोना मरीज जल्दी स्वस्थ हुए और मृत्यु दर भी कम हुआ. बता दें कि मुंबई में मौजूद सेवन हिल्स हॉस्पिटल में 200 कोरोना मरीजों पर एंटीबॉडी कॉकटेल प्रयोग किया गया था.

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एंटीबॉडी कॉकटेल कासिरिविमाब, इम्बीविमाब से तैयार हुआ है
एंटीबॉडी कॉकटेल कासिरिविमाब, इम्बीविमाब से तैयार हुआ है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एंटीबॉडी कॉकटेल कासिरिविमाब, इम्बीविमाब से तैयार हुआ है
  • एंटीबॉडी कॉकटेल का 200 कोरोना मरीजों पर प्रयोग हुआ

कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले महाराष्ट्र से थोड़ी राहत देने वाली खबर आई है. बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने जानकारी दी है कि एंटीबॉडी कॉकटेल (Antibody cocktail) का प्रारंभिक प्रयोग सफल रहा है. इस एंटीबॉडी कॉकटेल प्रयोग में कोरोना मरीज जल्दी स्वस्थ हुए और मृत्यु दर भी कम हुआ. बता दें कि मुंबई में मौजूद सेवन हिल्स हॉस्पिटल में 200 कोरोना मरीजों पर एंटीबॉडी कॉकटेल प्रयोग किया गया था.

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इस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल प्रयोग में कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्बीविमाब (Imbevimab) के मॉल्यूक्यल भी शामिल होते हैं. बता दें कि दोनों ही एंटीबॉडी दवाएं हैं. इस एंटीबॉडी कॉकटेल दवा (antibody cocktail for covid) को देने के बाद सिर्फ 0.5 फीसदी को ऑक्सीजन बेड की जरूरत पड़ी. वहीं मृत्यु दर में 70 फीसदी तक कमी आई. इसके साथ-साथ अगर दूसरे मरीज को ठीक होने में 13 से 14 दिन लग रहे थे तो ये एंटीबॉडी कॉकटेल लेने वाले 5 से 6 दिनों में ठीक हुए.

इसके साथ-साथ रेमडेसिविर, स्टेरॉयड का प्रयोग कम हुआ, जिससे साइड इफेक्ट भी ना के बराबर देखने को मिले. कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए यह प्रयोग किया गया था.

एंटीबॉडी कॉकटेल से डोनाल्ड ट्रम्प का हुआ था इलाज

बता दें कि कोरोना मरीजों पर कासिरिविमाब (Casirivimab) और इम्बीविमाब (Imbevimab) के एंटीबॉडी कॉकटेल का प्रयोग अमेरिका में नवंबर 2020 से हो रहा है. इतना ही नहीं अमेरिका में उस वक्त के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को जब कोरोना वायरस संक्रमण हो गया था, तो उनको भी यह एंटीबॉडी कॉकटेल दिया गया था. भारत में मई 2021 के बाद इन दवाओं को भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) की मंजूरी मिली.

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BMC की तरफ से जानकारी दी गई है कि 12 साल से ऊपर और जिनका वजन 40 किलोग्राम से ऊपर है उन कोरोना संक्रमितों को ही यह मिश्रित दवा दी गई थी. यह दवा ऐसा कोरोना मरीजों को दी गई थी जिनके लक्षण मद्धम या कम थे. ऐसे मरीज भी शामिल थे जिनको ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत तो नहीं थी, लेकिन ऐसा होने का रिस्क था. कुल 199 मरीजों को यह दवा दी गई. इसमें से 101 मरीज 18 से 45 साल के थे. वहीं कुल 199 में से 74 कोई अन्य बीमारी भी थी.

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