मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में भर्ती अरुणा शानबाग का सोमवार की सुबह निधन हो गया. अस्पताल के बिस्तर पर 42 साल से बेसुध पड़ी अरुणा से 1973 में अस्पताल के ही एक वार्ड ब्वॉय ने दुराचार किया था, वहीं अब उनके शव को सौंपने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
केईएम अस्पताल के डीन अविनाश सुपे ने शव को परिवार वालों को सौंपने का ऐलान किया है, लेकिन डीन के इस फैसले का अस्पताल की नर्सों ने कड़ा विरोध किया है. नर्सों का कहना है कि जब परिजन कभी अरुणा की सुध लेने नहीं आए तो भला उनका शव उन्हें कैसे सौंप सकते हैं. ऐलान का विरोध करते हुए कई नर्स अस्पताल से बाहर भी आ गईं.
केईएम हॉस्पिटल में ही एक वार्ड ब्वॉय ने अरुणा के साथ दुराचार किया था. घटना के बाद से ही बिस्तर पर पड़ी अरुणा बीते तीन दिनों से वेंटिलेटर पर थीं.
जब अरुणा के साथ वार्ड ब्वॉय सोहनलाल वाल्मिकी ने दुष्कर्म किया था तो उसने आवाज को दबाने के लिए कुत्ते की चेन से अरुणा के गले को लपेट दिया था. इस कारण से अरुणा के दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन की कमी हो गई थी.
आपको बता दें कि 24 जनवरी 2011 को घटना के 27 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने अरुणा की दोस्त पिंकी बिरमानी की ओर से यूथेनेशिया के लिए दायर याचिका पर फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अरुणा की इच्छा मृत्यु की याचिका स्वीकारते हुए मेडिकल पैनल गठित करने का आदेश दिया. हालांकि 7 मार्च 2011 को कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया.
बीते 42 साल से अरुणा केईएम हॉस्पिटल में ही भर्ती थीं और वहां का स्टाफ ही उनकी देखभाल कर रहा था. पिछले एक महीने से वह आईसीयू में भर्ती थीं.