महाराष्ट्र में पिछले दो सप्ताह से चल रहा सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. उद्धव ठाकरे सरकार का तख्तापलट करने वाले एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने चुके हैं और उन्होंने सोमवार को सदन में बहुमत भी साबित कर दिया है. इससे परले रविवार को चुने गए विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिंदे गुट के नेता भरत गोगावाले को नियुक्त कर उद्धव खेमे के लिए चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शिवसेना भी अब ठाकरे परिवार के हाथों से निकल जाएगी?
बता दें कि उद्धव ठाकरे अपनी सत्ता गवां चुके हैं और अब उनके सामने पार्टी शिवसेना को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है. विधानसभा सत्र के पहले दिन स्पीकर के चुनाव में बीजेपी नेता राहुल नार्वेकर चुने गए हैं जबकि उद्धव खेमे के राजन साल्वी को मात मिली है. स्पीकर की कुर्सी पर बैठते ही राहुल नार्वेकर ने ऐसा फैसला लिया, जो एकनाथ शिंदे खेमे के लिए सियासी संजीवनी तो उद्धव गुट को कशमकश में डालने वाला है. इसका असर विधानसभा सदन में बहुमत परीक्षण के दौरान भी देखने को मिला. जब उद्धव खेमे को दो विधायकों ने शिंदे के पक्ष में मतदान किया.
व्हिप जारी करने का अधिकर शिंदे गुट के पास
बीजेपी-एकनाथ शिंदे गुट ने विश्वास मत से एक दिन पहले उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका दिया. महाराष्ट्र विधानसभा के नवनियुक्त अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने उद्धव गुट के शिवसेना विधायक अजय चौधरी को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया और एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल के नेता के रूप में बहाल किया गया. साथ ही नार्वेकर ने ठाकरे गुट के सुनील प्रभु को शिवसेना मुख्य सचेतक पद से हटाकर शिंदे खेमे से भरत गोगावाले को मान्यता दे दी है. इसके चलते अब शिवसेना में व्हिप जारी करने का अधिकार शिंदे खेमे के गोगावाले के पास हो गया है.
व्हिप को लेकर विवाद
महाराष्ट्र में स्पीकर के चुनाव को लेकर शिवसेना की ओर से व्हिप जारी किया गया था. पार्टी के दोनों गुटों शिंदे गुट और ठाकरे गुट ने अपने विधायकों को लेकर व्हिप जारी किया था. अब व्हिप जारी करने को लेकर विवाद हो गया है और यह विवाद चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है. शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि अध्यक्ष चुनने को लेकर 39 विधायकों ने हमारे व्हिप का पालन नहीं किया है. शिंदे गुट के पास 39 विधायकों की ताकत है जबकि उद्धव खेमे के साथ 16 विधायक हैं.
वहीं, उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य समेत 16 विधायक हैं. ताजा घटनाक्रम में शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने भी शिंदे समेत उनके साथ गए सभी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन मामला कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करेगा. लेकिन, उससे पहले स्पीकर ने एकनाथ शिंदे खेमे से गोगावाले को शिवसेना का मुख्य सचेतक नियुक्त कर उद्धव ठाकरे के लिए परेशानी बढ़ा दी है. हालांकि, व्हिप वाला मामला भी कोर्ट पहुंच गया है.
दरअसल, शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे खेमे की ओर से डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखकर शिंदे को विधायक दल के पद से हटाने के लिए सिफारिश की गई थी. एकनाथ शिंदे को संबोधित पत्र में कहा गया है कि महाराष्ट्र विधान भवन प्रशासन को उनके गुट से 22 जून को एक पत्र मिला था, जिसमें पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा शिंदे को शिवसेना विधायक दल के समूह नेता के रूप में हटाने पर आपत्ति जताई गई थी.
शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे
वहीं, शिवसेना के बागी गुट के विधायकों ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना था और उसकी चिट्ठी राज्यपाल और डिप्टी स्पीकर को भेजी गई थी. इस पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के कार्यालय द्वारा रविवार रात जारी पत्र में कहा गया है कि मामले की वैधता पर चर्चा करने के बाद अध्यक्ष ने पार्टी की विधायक इकाई के समूह नेता के रूप में शिवसेना विधायक अजय चौधरी की नियुक्ति को खारिज कर दिया. इस तरह से एकनाथ शिंदे शिवसेना के विधायक दल के नेता होंगे.
पत्र के मुताबिक, नया निर्देश शिंदे को शिवसेना के सदन के नेता के रूप में बहाल करता है और सुनील प्रभु की जगह भरत गोगावाले को पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने को भी मान्यता देता है. यह घटनाक्रम ठाकरे गुट के लिए एक बड़ा झटका है, जिसमें 16 विधायक शामिल हैं. ऐसे में अब शिवसेना में व्हिप जारी करने का अधिकार एकनाथ शिंदे गुट के पास होगा.
विधानसभा में सोमवार के विश्वास मत के लिए शिवसेना की ओर से भरत गोगावाले द्वारा जारी किए जाने वाले व्हिप से पार्टी के सभी विधायक भी बंधे हैं. इसके में शिंदे और उद्धव दोनों ही खेमे के विधायक हैं. ऐसे में अगर उद्धव खेमे के विधायक व्हिप का पालन करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है. इसकी वजह यह है कि स्पीकर के चुनाव के दौरान उद्धव खेमे के विधायकों की शिकायत की जा चुकी है और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है.
विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान उद्धव ठाकरे खेमे के दो विधायकों ने बीजेपी-शिंदे सरकार को समर्थन किया है तो 14 ने खिलाफ वोट किया है. बहुमत परीक्षण के दौरान शिंदे सरकार के समर्थन में 164 वोट पड़े हैं तो खिलाफ 99 विधायकों ने वोट किया. ऐसे में उद्धव खेमे के जिन विधायकों ने बहुमत परीक्षण के दौरान शिंदे सरकार के खिलाफ वोट किया है. उसके खिलाफ क्या शिंदे गुट कोई एक्शन लेगा.
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के एकनाथ शिंदे गुट के व्हिप को मान्यता देने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. उद्धव गुट की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से स्पीकर की कार्रवाई पर रोक की मांग की है. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर को यह अधिकार नहीं है, पार्टी अभी भी उद्धव गुट की है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा 11 जुलाई को बाकी मामलों के साथ ही इस मामले पर भी सुनवाई होगी.
दरअसल, उद्धव ठाकरे की कुर्सी जाने के बाद अब उनके बेटे आदित्य ठाकरे के सामने भी चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि शिंदे खेमे ने उद्धव गुट के विधायकों की सदस्यता खत्म करने के लिए नोटिस दिया है. यह शिकायत स्पीकर के चुनाव के दौरान वोटिंग को लेकर की गई है.
इस तरह से शिवसेना के अंदर ही शह-मात का खेल जारी है. ऐसे में यह जंग अब शिवसेना पर काबिज होने की है. इस दिशा में विधानसभा में शिवसेना पर फिलहाल शिंदे का वर्चस्व कायम हो गया है और पार्टी की बागडोर लेने की जंग चल रही है. ऐसे में क्या शिवसेना की कमान ठाकरे परिवार के हाथों से क्या निकल जाएगी?