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'1999 में वाजपेयी ने दिया था NDA के साथ गठबंधन का ऑफर,' NCP नेता प्रफुल्ल पटेल का खुलासा

NCP नेता प्रफुल्ल पटेल ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने बताया कि 1999 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बड़ा ऑफर दिया था. उन्होंने NCP चीफ शरद पवार को एनडीए में शामिल होने की पेशकश की थी. हालांकि, पार्टी के ज्यादातर नेता की राय कांग्रेस के साथ जाने की थी, इसलिए वो ऑफर स्वीकार नहीं किया था.

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एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल. (फाइल फोटो)
एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल. (फाइल फोटो)

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद प्रफुल्ल पटेल ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने दावा किया है कि दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने NCP सुप्रीमो शरद पवार को केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था. पटेल ने यह बयान शनिवार को 'मुंबई तक' तक के साथ एक स्पेशल इंटरव्यू में दिया है. 

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प्रफुल्ल पटेल ने कहा, शरद पवार 1999 में कांग्रेस से अलग हो गए थे, तब वाजपेयी ने उन्हें महाराष्ट्र में शिवसेना- बीजेपी के साथ गठबंधन करने का ऑफर दिया था. हालांकि, हमने कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सोचा कि हम सबसे बड़ी पार्टी बन सकते हैं, लेकिन स्थिति उतनी अनुकूल नहीं दिखी. हमारे अधिकांश राज्य के नेता कांग्रेस के साथ रहने में सहज थे, इसलिए शरद पवार के उस फैसले से कांग्रेस को बहुत मदद मिली.

'हम अपने बल पर सरकार बना सकते हैं'

पटेल ने यह भी कहा, जब हम इतिहास में पीछे मुड़कर देखते हैं तो विचार करते हैं कि अगर हम कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाते तो यह हमारे लिए ज्यादा फायदेमंद होता. लेकिन अब हम अपने सहयोगियों को चोट नहीं पहुंचाना चाहते हैं. उन्होंने माना कि शरद पवार या हममें से कोई भले ही खुले तौर पर यह ना कहे, लेकिन हमें हमेशा लगता है कि किसी तरह हम महाराष्ट्र में सरकार बनाने की क्षमता रखते हैं. हम अपने बल पर राज्य में ममता बनर्जी या जगन मोहन रेड्डी की तरह चुनाव जीत सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी हमें राज्य में शरद पवार जैसा कोई अन्य दिग्गज नेता नहीं दिखता है. पटेल ने कहा, यह स्पष्ट है. यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वैचारिक मतभेदों के बावजूद कई बार पवार की प्रशंसा की है.

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'पटेल ने वाजपेयी के ऑफर के बारे में बताया'

पटेल ने आगे कहा, महाविकास अघाड़ी का प्रयोग प्रदेश में 2019 से देखने को मिल रहा है, जो 2022 तक सफल भी रहा. क्योंकि तीन पार्टियां एक साथ आईं और करीब ढाई साल तक सत्ता में रहीं. पटेल ने पहली बार 1999 के विधानसभा चुनाव के बाद एनसीपी को मिले बड़े ऑफर के बारे में बात की. उन्होंने कहा, 1999 में अटलबिहारी वाजपेयी ने प्रस्ताव दिया था कि एनसीपी को गठबंधन सरकार बनानी चाहिए.

'किसी दल को नहीं मिला था स्पष्ट बहुमत'

बता दें कि एनसीपी का गठन 1999 में हुआ था और उसी समय महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए थे. इन चुनावों में किसी एक दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. उसी वर्ष नई पार्टी एनसीपी ने महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में सीटें जीतीं थीं. पटेल ने खुलासा किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भाजपा और शिवसेना के साथ गठबंधन करके राज्य में सरकार बनाने के लिए खुली पेशकश की थी.

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'सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या कम थी'

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उन्होंने कहा, 1999 में हम कांग्रेस से अलग हुए. हमने एक नई पार्टी बनाई. हमने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. स्वाभाविक रूप से हम अलग थे. उस समय इस्तीफा देने के बाद जल्दी चुनाव हुए थे. इसलिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए. तब हमारी पार्टी नई थी. उस वक्त हम थोड़े कम पड़ गए. हमें लगा था कि हम नंबर वन पार्टी होंगे. लेकिन वक्त रहते हमें संकेत भी मिले. उस समय केंद्र में वाजपेयी की सरकार चुनी हुई थी. तब कांग्रेस के साथ जाना या नहीं जाना एक बड़ा सवाल था. क्योंकि हम उनके खिलाफ लड़े थे. कांग्रेस ने शरद पवार के साथ अजीब व्यवहार किया था, इसलिए एनसीपी बनाई गई.

वाजपेयी ने दिया था यह प्रस्ताव

वाजपेयी इतने अच्छे इंसान थे. उन्हें सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया गया था. उस समय खुद वाजपेयी ने प्रस्ताव दिया था कि आप हमारे साथ आएं. कांग्रेस को छोड़कर मुंबई में शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी की सरकार बनाएं और शरद पवार दिल्ली में एनडीए में शामिल हों. 

लेकिन उस वक्त पार्टी में तय हो गया था कि हमें कांग्रेस के साथ रहना चाहिए. स्थानीय लोगों को कांग्रेस के साथ जोड़ना सुविधाजनक माना गया था. इसलिए हमने वह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. लेकिन इस भूमिका की वजह से शरद पवार को ज्यादा फायदा हुआ.

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