औरंगाबाद में किसानों ने गोदावरी बेसिन में पानी छोड़े जाने को लेकर धरना शुरू कर दिया है. किसानों ने आंदोलन का अनोखा तरीका अपनाया है और वे भजन गाकर सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर खींचना चाहते हैं. इस आंदोलन में शामिल किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता जयाली सूर्यवंशी ने कहा कि हमारी मांग सरकार नहीं सुन रही है इसलिए भजन आंदोलन से प्रार्थना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 30 मई तक पानी नहीं छोड़ा जाता तो महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों के घर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा.
इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को ऐलान किया कि कृत्रिम बारिश के लिए सरकार 30 करोड़ रुपए का फंड जारी करेगी. महाराष्ट्र में पानी की घोर कमी है. ऐसे में वहां खेती से लेकर मवेशियों के चारे और दाना पानी में भी दिकक्त आती है. इस कारण हर साल वहां किसान सड़कों पर उतरते हैं. इस साल भीषण गर्मी और सामान्य से नीचे मानसून की आशंका को देखते हुए सरकार ने पानी की आपूर्ति और क्लाउड सिडिंग की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति गंभीर होती जा रही है. इसके चलते कई जगह किसान आंदोलन भी हो रहे हैं. इसे देखते हुए सूबे की बीजेपी सरकार राहत के लिए किसानों को वित्तीय मदद देने पर विचार कर रही है. पिछले दो साल से महाराष्ट्र में लगातार सूखा पड़ रहा है और किसान नेताओं की शिकायत रही है कि सूखे की वजह से सीमांत किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है. चुनाव के दौरान विपक्ष ने भी कर्जमाफी की मांग रखी और जाहिर है इससे राज्य सरकार इस दवाब में है.
Aurangabad: Villagers protest demanding release of water into Godavari basin. Activist Jayaji Suryawanshi says,'Doing 'bhajan andolan,' govt isn't listening, so praying to god. If water isn't released by tonight then on 30th we'll sit in front of houses of officials #Maharashtra pic.twitter.com/LLvrGFIkyH
— ANI (@ANI) May 28, 2019
अभी हाल में महाराष्ट्र के सतारा में सूखे और मवेशियों के लिए पानी की कमी से परेशान किसान ने खुदकुशी कर ली थी. संपत कोकरे (47) नाम के किसान ने अपने घर में फांसी लगा ली. घटना के वक्त उसकी पत्नी और बेटे किसी काम से बाहर गए थे. यह घटना दहीवाडी थाने के 250 किलोमीटर दूर मान तहसील की है. किसान के भतीजे उत्तम कोकरे के मुताबिक उसके चाचा बहुत तनाव में थे. सूखे और पानी की कमी के चलते उनके पास कोई काम नहीं था. उनके पास कुछ जमीन और मवेशी थे लेकिन मवेशियों को चारा और पानी नहीं दे पा रहे थे.