बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में मृत आरोपी के माता-पिता को दंडित नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार आरोपी के माता-पिता के आश्रय और रोजगार की व्यवस्था करने की ओर गोर कर सकती है.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने इस मामले में आरोपी के माता-पिता से बात की जो सितंबर में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारा गया था.
आरोपी के माता-पिता ने अदालत को बताया कि उनके बेटे की गिरफ्तारी के बाद से उन्हें भी निशाना बनाया गया. वह बेटे की गिरफ्तारी के बाद से बदलापुर स्थित घर में भी रहने में असमर्थ हैं.
उन्होंने अदालत से कहा कि हमें अपने घर से निकाल दिया गया. हम कल्याण रेलवे स्टेशन पर रह रहे हैं. हमें कोई नौकरी भी नहीं मिला रही है. हमारे पास पैसा भी नहीं है.
कोर्ट ने सराकरी वकील से पूछा सवाल
इसके बाद पीठ ने सरकारी वकील हितेन वेनगांवकर से पूछा कि क्या राज्य सरकार या किसी एनजीओ के जरिए से आरोपी के माता-पिता को कोई मदद की जा सकती है.
पीठ ने कहा, वे (माता-पिता) आरोपी नहीं हैं. ये उनकी गलती नहीं है. उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए? उनके बेटे पर जिस चीज को करने का आरोप है, उसके लिए उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
अदालत ने कहा कि अभिभावकों को सरकार और जनता के गुस्से का सामना नहीं करना चाहिए. क्या किया जा सकता है? क्या उन्हें अपनी सरकार की मदद से कहीं पुनर्वास नहीं किया जा सकता? कुछ एनजीओ उन्हें नौकरी या आश्रय खोजने में मदद कर सकते हैं. उन्हें जीवित रहने और आजीविका चलाने में सक्षम होने की आवश्यकता है.”
अगले साल होगी मामले की सुनवाई
वहीं, कथित यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद पीठ ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया था और सरकार को स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा रिपोर्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया था जो जनवरी 2025 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2025 को तय की है.
बता दें कि आरोपी को अगस्त में ठाणे जिले के बदलापुर में एक स्कूल के शौचालय के अंदर दो नाबालिग लड़कियों का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जहां वह अटेंडेंट के रूप में काम करता था.