बाल ठाकरे के बेटों के बीच चल रही कानूनी लड़ाई के दौरान उनके फेमिली डॉक्टर ने कहा है कि अपनी वसीयत पर दस्तखत करते वक्त बाला साहब मानसिक तौर पर फिट थे. डॉ. जलील पारकर ने बॉम्बे हाईकोर्ट को यह जानकारी दी.
दरअसल, बाल ठाकरे के बेटों, उद्धव और जयदेव के बीच उनकी वसीयत को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है. जयदेव ने दावा किया था कि वसीयत पर दस्तखत करते समय उनके पिता की मानसिक हालत ठीक नहीं थी. उन्होंने वसीयत को भी 'नकली' बताया है.
इससे पहले बाल ठाकरे के निजी डॉक्टर रहे डॉ. जलील पारकर ने बंबई हाईकोर्ट को बताया था कि दिवंगत नेता साल 2007 से ही बीमार थे. डॉक्टर ने यह भी बताया था कि बाल ठाकरे जब भी बाहर जाते थे, लीलावती अस्पताल का ट्रेंड मेडिकल स्टाफ उनके साथ रहता था.
क्या है पूरा मामला...
बाल ठाकरे के दो बेटों, उद्धव और जयदेव के बीच उनकी वसीयत को लेकर कानूनी विवाद चल रहा है. इस मामले में डॉ. पारकर से अदालत में बतौर गवाह पूछताछ की गई. 13 दिसंबर, 2011 को बनाई गई ठाकरे की अंतिम वसीयत में उनसे अलग रह रहे उनके बेटे जयदेव को कुछ नहीं दिया गया है, जबकि उनकी संपत्ति का काफी बड़ा हिस्सा शिवसेना के मौजूदा अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को दिया गया है.
उद्धव ने जहां वसीयत के प्रमाणीकरण के लिए याचिका दाखिल कर रखी है, वहीं जयदेव ने यह कहते हुए वसीयत की वैधता को चुनौती दी कि उनके पिता ने जब इस पर दस्तखत किए, तो उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी. अमूमन हर रोज ठाकरे की जांच करने वाले पारकर ने बतौर गवाह वसीयत पर हस्ताक्षर किए थे. बाल ठाकरे का नवंबर 2012 में निधन हो गया था. इस मामले में जज गौतम पटेल के सामने सुनवाई पूरी होनी है.