भीमा कोरेगांव केस में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता-एडवोकेट सुधा भारद्वाज ने एनआईए की विशेष अदालत में एक अपील की है. इस अपील में उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि जांच एजेंसी एनआईए और सरकारी वकील प्रकाश शेट्टी को ये आदेश दिया जाए कि वो उनके खिलाफ लगाए गए 'झूठे आरोपों' को वापस लें.
एनआईए की विशेष अदालत को भेजे गए अपने चार पन्नों के आवेदन में सुधा भारद्वाज ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि एनआईए और प्रकाश शेट्टी के गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक रवैये के लिए उनको फटकार लगानी चाहिए. ये अपील उन्होंने 14 दिसंबर को लिखी है.
महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में जनवरी 2018 में हिंसा हुई थी. इस हिंसा के आरोप में उन्हें अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था.
सुधा भारद्वाज ने अपने आवेदन में कहा है कि एनआईए द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और बिना किसी सबूत के हैं. उन्होंने कहा कि वो एक अंडर ट्रायल कैदी हैं और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वह किसी भी गवाह को नुकसान पहुंचाएंगी. सुधा भारद्वाज ने आगे लिखा कि मैंने 20 साल से अधिक समय लोगों की सेवा में लगाया है. सुधा भारद्वाज ने ये भी कहा अभियोजन पक्ष को सिर्फ इसलिए बदनाम करने और गलत इल्जाम लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है क्योंकि वो एक आरोपी हैं.
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सुधा भारद्वाज ने ये भी लिखा है कि कोर्ट के अधिकारी और अभियोजन पक्ष की जिम्मेदारी है कि वो निष्पक्षता दिखाएं और बेवजह किसी पर आरोप न लगाएं. अभियोजन पक्ष को इस बात की इजाजत नहीं दी जा सकती कि वो कोर्ट को एक ऐसे फोरम में बदल दें जहां दलीलों की आड़ में गॉसिप करें और किसी की बदनामी करें. इससे कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचती है और न्याय देने की प्रक्रिया की निष्पक्षता कम होती है.
सुधा भारद्वाज के इन आरोपों पर एनआईए की तरफ से 21 दिसंबर को जवाब दाखिल किया गया है. एनआईए ने अपने जवाब में कहा है कि सुधा भारद्वाज ने द्वेष के साथ चिट्ठी लिखी है. एनआईए ने कहा कि सुधा भारद्वाज इस तरीके के गवाहों की पहचान तलाशने की कोशिश कर रही हैं ताकि उन्हें नुकसान पहुंचा सकें. एनआईए ने कहा कि संवैधानिक अधिकारों की आड़ में सुधा भारद्वाज गवाहों की जान खतरे में डाल रही हैं.