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पुणे जातीय हिंसा की RSS ने की निंदा, कहा- दोषियों को मिलनी चाहिए सजा

आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा दुखद है. इस घटना के दोषियों को कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए.

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पुणे जातीय हिंसा
पुणे जातीय हिंसा

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पुणे के भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर हुई हिंसा की आरएसएस ने निंदा की है. आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा दुखद है. इस घटना के दोषियों को कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए.

RSS ने ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा कि कुछ ताकतें नफरत फैलाने का काम कर रही हैं. RSS के मनमोहन वैद्य ने जनता से अपील की है कि वो राज्य में शांति और सौहार्द बनाए रखें.

मायावती ने BJP-RSS को बताया जिम्मेदार

पुणे में हुई इस हिंसा के लिए बीएसपी नेता मायावती ने बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा पर बयान दिया कि इस घटना को रोका जा सकता था. सरकार को वहां सुरक्षा की उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी. वहां बीजेपी की सरकार है और उन्होंने वहां हिंसा करवाई. लगता है इसके पीछे बीजेपी, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ है.

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बता दें कि पुणे में 200 साल पुराने भीमा-कोरेगांव युद्ध की बरसी को लेकर जातीय संघर्ष छिड़ गया है. यहां के भीमा-कोरेगांव में सोमवार को बरसी पर हुए कार्यक्रम के दौरान हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए थे. जगह-जगह हिंसक प्रदर्शनों के चलते यहां सुरक्षा बढ़ा दी गई. विरोध प्रदर्शन की वजह से मुंबई के कई हिस्सों में धारा 144 लगा दी गई. राज्य में विभिन्न जगहों से 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया और इस बीच भीमराव आंबेडकर के पोते और एक्टिविस्ट प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वाहन कर दिया.

मेवानी-खालिद के खिलाफ शिकायत

पुणे के दो युवा अक्षय बिक्कड और आनंद डॉन्ड ने पुणे के डेक्कन पुलिस स्टेशन में विधायक जिग्नेश मेवानी और जेएनयू के छात्र उमर खालिद के खिलाफ लिखित में शिकायत देकर FIR दर्ज करने की मांग की. शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद ने कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण दिया था जिसके बाद हिंसा भड़की. शिकायतकर्ताओं की मानें तो भाषण के दौरान जिग्नेश मेवानी ने एक खास वर्ग को सड़क पर उतर कर विरोध करने के लिए उकसाया, जिसके बाद लोग सड़क पर उतर आए और फिर धीरे-धीरे भीड़ ने हिंसक रूप ले लिया. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक पुणे हिंसा के लिए ये दोनों जिम्मेदार हैं और इनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

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मुख्यमंत्री ने किया 10 लाख मुआवजे का ऐलान

इस बारे में महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे. हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी. कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई. इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख के मुआवजा दिया जाएगा.

आखिर क्या है भीमा कोरेगांव की लड़ाई

बता दें कि भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी. अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था.

हर साल नए साल के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं, यहीं वो जयस्तंभ स्थित है जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी. कहा जाता है कि साल 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर इस मेमोरियल पर पहुंचे थे, जिसके बाद से अंबेडकर में विश्वास रखने वाले इसे प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर देखते हैं.

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