भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के मुख्य आरोपी मिलिंद एकबोटे को पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद पुणे पुलिस ने उन्हें घर से हिरासत में लिया.
बता दें कि 1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के पुणे में 200 साल पुराने युद्ध भीमा-कोरेगांव की बरसी को लेकर जातीय संघर्ष छिड़ गया था. जिसकी आग पूरे महाराष्ट्र में फैल गई. कई शहरों में हिंसक घटनाएं भी हुई थीं.
इस मामले में पुलिस ने संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ एट्रासिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. जिसके बाद से मिलिंद एकबोटे फरार चल रहे थे.
गौरतलब है कि मिलिंद एकबोटे हिंदू एकता आघाडी का नेतृत्व करते हैं. भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने के अलावा उन पर 12 केस दर्ज हैं. इनमें दंगा फैलाने समेत कई आपराधिक मामले शामिल हैं. इसके पहले एकबोटे पुणे में पार्षद रहते हुए एक मुस्लिम पार्षद से हज हाउस बनाने को लेकर हाथापाई करने के मामले में विवादों में आए थे.
सीएम ने की थी केस वापस लेने की बात...
इसके पहले विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंसा के दौरान दर्ज किए गए मामले वापस लेने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि गंभीर मामलों को लेकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी-कानून-व्यवस्था) की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी. यह समिति तीन महीने में मंत्रिमंडल की उपसमिति को रिपोर्ट सौंपेगी. इसके बाद गंभीर मामलों को वापस लेने के बारे में फैसला लिया जाएगा.
622 मामले हैं दर्ज...
महाराष्ट्र में हिंसा के दौरान राज्य भर में 622 मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा 350 लोगों के खिलाफ गंभीर मामले और 17 के खिलाफ एट्रोसिटी के मामले दर्ज हैं. इसके आधार पर 1199 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. जबकि 2254 लोगों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई. इसमें से 22 लोगों के अलावा सभी को जमानत मिल चुकी है.
क्या हुआ था भीमा कोरेगांव में...
पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं बरसी के दौरान हिंसा भड़कने से पूरे महाराष्ट्र में तनाव फैल गया था. इसके बाद महाराष्ट्र में दलित संगठनों ने बंद का ऐलान किया था. उस वक्त बताया गया कि हिंसा भड़कने की असली वजह दलित गणपति महार का समाधि स्थल था, जिसे कथित तौर पर हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े लोगों ने 29 दिसंबर को क्षतिग्रस्त कर दिया था. इसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात में कई दिनों तक हिंसा हुई थी.