तीन तलाक पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और भारतीय दंड संहिता के तहत इस प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने के लिए शुक्रवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया गया. इस बीच, महाराष्ट्र के ठाणे में पत्नी को तीन तलाक देने के मामले में एक 32 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भिवंडी के पास भोइवाड़ा थाने में यह मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने पति के साथ परिवार के अन्य तीन सदस्यों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है.
ससुराल पक्ष और पति पर आरोप है कि वे दहेज के लिए महिला को प्रताणित करते थे. महिला ने भोइवाड़ा थाने में गुरुवार को लिखित शिकायत दी थी जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की. महिला का आरोप है कि पति ने दो महीने पहले तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया था. ठाणे पुलिस के प्रवक्ता सुखदा नरकार के मुताबिक आरोपी पति का नाम आमिर मुख्तार आमिर मोमिन है.
वहीं, विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने शुक्रवार को तीन तलाक पर तत्काल प्रतिबंध लगाने और भारतीय दंड संहिता के तहत इस प्रथा को दंडनीय अपराध बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक पेश कर दिया. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह मुस्लिम परिवारों को नुकसान पहुंचाएगा और यह विधेयक भेदभावपूर्ण है.
केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जैसे ही तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश किया, विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि राजनीतिक दलों के सभी सांसदों को शामिल करने के लिए इस पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए.
विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से विधेयक पेश किए जाने के दौरान मत विभाजन का अनुरोध किया. 186 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, वहीं 74 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया. मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इसे पेश किए जाने के दौरान मत विभाजन की मांग की.
ओवैसी ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ता है, तो उसे एक साल की जेल का प्रावधान है. उन्होंने जानना चाहा कि ऐसा प्रावधान क्यों किया जा रहा है कि मुस्लिम पुरुषों को इसी अपराध में तीन साल की सजा मिलेगी. उन्होंने कहा कि वह इसकी वजह जानना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और 15 (धर्म, जाति, नस्ल, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव के खिलाफ) का उल्लंघन करता है. शीर्ष अदालत ने तत्काल तीन तालक को शून्य घोषित किया है, जिसका अर्थ है कि इस तरह के ऐलान से शादी खत्म नहीं होती है."