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मराठा आरक्षण पर शिंदे सरकार का बड़ा फैसला, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तारीख तय

विधानसभा के विशेष सत्र से पहले पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में समीक्षा और मंजूरी के लिए रखी जाएगी. इसके बाद इसे विधानसभा के विशेष सत्र में पेश पेश किया जाएगा.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने इस सिलसिले में 16 फरवरी को महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है. इस मुद्दे को लेकर 16 फरवरी की तारीख पर लगभग मुहर लग गई है. विधानसभा के विशेष सत्र से पहले पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट कल (मंगलवार) होने वाली कैबिनेट की बैठक में समीक्षा और मंजूरी के लिए रखा जाएगा. इसके बाद इसे विधानसभा के विशेष सत्र में पेश पेश किया जाएगा.  

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शिंदे सरकार को झुकना पड़ा था

इससे पहले मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को झुकना पड़ा था, और राज्य सरकार को मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे की मांगें माननी पड़ी थी. 

बीते महीने मराठा आरक्षण को लेकर चल रहा आंदोलन खत्म करने की घोषणा उस समय हुई थी जब मनोज जरांगे के नेतृत्व वाली आंदोलनकारियों की मांगों को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने मान लिया था. इसके बाद सरकार ने जातिगत आरक्षण पर सरकारी संकल्प जारी किया था और इसे फरवरी महीने में होने वाले विधानसभा सत्र में कानून में बदल देने का आश्वासन दिया था. बाद में नवी मुंबई में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथों से जूस पीकर मनोज जरांगे के अपना अनशन खत्म कर दिया था.

 सरकार ने तेज कर दी है प्रक्रिया 

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आरक्षण की मांगों को लेकर सरकार द्वारा अध्यादेश का मसौदा जारी करने के बाद मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मुंबई की ओर बढ़ रहे आंदोलनकारियों ने अपना मार्च रोक दिया. अब सीएम एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण पर अंतिम मसौदा पेश करने और एक विशेष सत्र बुलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. इस सिलसिले में सीएम ने राज्य के आला अधिकारियों के साथ कई बैठकें भी की है. इन कदमों से ऐसा लग मालूम पड़ता है कि राज्य सरकार इसी सत्र में मराठा आरक्षण को लेकर प्रस्ताव लाकर इस पर विधानसभा में कानून बना सकती है. 

मराठा आरक्षण को लेकर क्या थी मनोज जरांगे की मांगें

1. मनोज जरांगे की पहली मांग थी कि मराठा समुदाय को फुलप्रूफ आरक्षण मिले.
2. जब तक सभी मराठों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता, तब तक वह अपने घर नहीं जाएंगे. सरकार के आश्वाशन मिलने के बाद जरांगे ने आंदोलन खत्म कर दिया था। 
3. आरक्षण आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज अपराधों को रद्द करने के लिए एक निश्चित तारीख तय हो.
4. जरांगे ने यह भी मांग रखी थी कि महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वेक्षण के लिए राशि दे और कई टीमों का गठन करे.
5. मराठों को कुनबी जाति प्रमाण-पत्र देने वाला एक सरकारी आदेश पारित किया जाना चाहिए और महाराष्ट्र शब्द जरूर शामिल होना चाहिए.

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इससे पहले पिछले साल सितंबर में भी जरांगे के नेतृत्व में मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन हुआ था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी. 

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