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अब कैबिनेट की बारी, क्या बिहार फॉर्मूले पर महाराष्ट्र में शिंदे सरकार चलाएगी बीजेपी?

महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोग से एकनाथ शिंदे ने सरकार का गठन कर लिया है, लेकिन अब बारी मंत्रिमंडल की है. ऐसे में बीजेपी क्या बिहार की तर्ज पर ही महाराष्ट्र में सरकार और कैबिनेट गठन की रूप रेखा बना रही है. बिहार में जिस तरह नीतीश को सत्ता सौंपी तो उसी तरह महाराष्ट्र में शिंदे को, लेकिन डिप्टी सीएम से लेकर स्पीकर तक का पद अपने पास रखा.

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एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस
एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने विधानसभा स्पीकर का पद अपने पास रखा
  • सीएम की कुर्सी छोड़ बीजेपी ने डिप्टी सीएम का पद चुना
  • शिंदे कैबिनेट में बीजेपी का पलड़ा भारी रहेगा?

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ तख्तापलट करने वाले एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने हैं तो बीजेपी नेता देंवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री. बीजेपी के सहयोग से बनी शिंदे सरकार ने विधानसभा के पटल पर बहुमत की परीक्षा पास कर ली है. ऐसे में अब शिंदे अपने मंत्रिमंडल का गठन करेंगे, लेकिन किस फॉर्मूले पर कैबिनेट का गठन होगा और कितना बड़ा होगा, इसे लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है. 

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सीएम पद छोड़ा, डिप्टी सीएम की कुर्सी रखी

हालांकि, बीजेपी ने जिस तरह से बड़ा दल होते हुए बिहार में सत्ता की कमान जेडीयू नेता नीतीश कुमार को सौंपी थी और डिप्टी सीएम का पद अपने पास रखा था. उसी तर्ज पर महाराष्ट्र में भी शिंदे सरकार गठन का फॉर्मूला भी देखने को मिल रहा है. बीजेपी ने शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे को सीएम की कुर्सी सौंपी तो डिप्टी सीएम का पद अपने पास रखा, जिस पर देवेंद्र फडणवीस विराजमान हैं. 

स्पीकर का पद बीजेपी ने अपने पास रखा

बिहार में बीजेपी ने सीएम की कुर्सी जरूर छोड़ी थी, लेकिन विधानसभा स्पीकर का पद अपने पास रखा. उसी तरह से महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी भले ही शिंदे को दी, पर स्पीकर के पद पर अपने नेता को बैठाया. बिहार में नीतीश कैबिनेट गठन में बीजेपी ने जेडीयू से ज्यादा मंत्रिपद लिए, उसी तरह महाराष्ट्र में भी शिंदे खेमे से ज्यादा मंत्री बीजेपी के पास हो सकते हैं. 

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बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 288 है, लिहाजा इसके 15 फीसदी ही मंत्री बन सकते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि महाराष्ट्र में जब भी मंत्रिमंडल बनेगा तो उसमें ज्यादा से ज्यादा 42 लोग ही मंत्री बनाए जा सकते हैं. इसमें मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम शामिल हैं. ऐसे में महाराष्ट्र कैबिनेट में 40 मंत्री के लिए जगह है, जिनमें बीजेपी और शिंदे के साथ बगावत करने वाले नेताओं को शामिल किया जाएगा. 

शिंदे कैबिनेट का क्या फॉर्मूला होगा

एकनाथ शिंदे के साथ उद्धव ठाकरे सरकार का विरोध करने वाले 9 मंत्री भी हैं, जिनमें 5 कैबिनेट और चार राज्यमंत्री शामिल थे. हालांकि, उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना कोटे से 10 कैबिनेट और चार राज्यमंत्री थे. शिंदे के साथ फिलहाल शिवसेना के 40 विधायक हैं तो उद्धव के साथ 15 विधायक हैं, जो फ्लोर टेस्ट से साबित हो चुका है. इस तरह से शिंदे के साथ जिन शिवसैनिक मंत्रियों ने बगावत की थी, उनका महाराष्ट्र की नई सरकार में मंत्री बनना फिर से लगभग तय माना जा रहा है. 

महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है. ऐसे में चर्चा है कि बागियों समेत शिंदे कैबिनेट में निर्दलीय और सरकार को समर्थन करने वाली छोटी पार्टियों के विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. माना जा रहा है कि शिंदे कैबिनेट में मंत्री बटवारे का 35 बनाम 65 फीसदी का फॉर्मूला बन सकता है. 35 फीसदी मंत्री शिंदे खेमे के नेता हो सकते हैं तो 65 फीसदी बीजेपी के नेता मंत्री बन सकते हैं. 

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बिहार-महाराष्ट्र में बीजेपी और सहयोगी

बिहार की तरह ही महाराष्ट्र में भी सियासी समीकरण हैं. बिहार में जेडीयू के पास 44 विधायक थे तो महाराष्ट्र में शिंदे खेमे के पास 40 विधायक हैं. दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने बड़ा दल होते हुए भी मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने पास नहीं रखी, लेकिन बिहार में मंत्री के पद ज्यादा लिए थे. महाराष्ट्र में कुल 42 मंत्री बन सकते हैं, जिसमें सीएम और डिप्टी सीएम को छोड़ दें तो 40 जगह खाली हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी 24 से 25 मंत्रालय अपने पास रख सकती है तो 15 से 16 शिंदे और निर्दलीय खेमे के हिस्से में जा सकते हैं.

बगावत करने वालों को इनाम

उद्धव ठाकरे के खिलाफ सत्ता परिवर्तन करने वाले शिंदे के साथ पुराने 9 मंत्री थे, जिनमें शिंदे के अलावा गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे और संदीपन भुमरे हैं. उदय सामंत, शंभूराज देसाई, राजेंद्र पाटिल, अब्दुल सत्तार और ओमप्रकाश कडू हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इन सभी को फिर से मंत्री बनने का मौका मिल सकता है. इस तरह से शिंदे खेमे को 12 मंत्रालय मिल सकते हैं, जिनमें 6 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्री हो सकते हैं. 

शिंदे के साथ करीब 10 निर्दलीय और अन्य विधायकों ने भी उद्धव सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. ऐसे में उन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिल सकता है. वहीं, बीजेपी के दो दर्जन मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें पार्टी के दिग्गज नेताओं की किस्मत के तारे बुलंद हो सकते हैं. ऐसे में बीजेपी और शिंदे दोनों ही खेमे कैबिनेट विस्तार से क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण साधने की पूरी कवायद कर सकते हैं.

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