बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता छीनने के बाद अब मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को परास्त करने के लिए सियासी तानाबाना बुन रही. शिवसेना को राज्य की सत्ता से ज्यादा प्यारी मुंबई की सत्ता है. बीएमसी में शिवसेना साढ़े तीन दशक से सत्ता में है. ऐसे में शिवसेना को मुंबई की सत्ता से हटाकर ही असली चोट देने के लिए बीजेपी ने सियासी तिकड़ी बनाई है. देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंद के साथ राज ठाकरे की जोड़ी बन रही है, लेकिन शिवसेना को उसके घरेलू मैदान यानी बीएमसी से बेदखल करेगी?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने मुंबई दौरे से बीएमसी चुनाव के लिए बिगुल फूंक दिया है. बीजेपी ने बीएमसपी की 227 पार्षद सीटों में से 150 सीटें जीतने का टारगेट रखा है. शिवसेना की किसी समय मुंबई पर जबरदस्त पकड़ थी, लेकिन 2014 से उसकी स्थिति कमजोर हुई है. 2017 के बीएमसी चुनाव में शिवसेना-बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, जिससे उद्धव ठाकरे को नुकसान और बीजेपी को लाभ हुआ था.
बीएमसी की 227 सीट में शिवसेना को 84 सीटें और बीजेपी ने 82 सीटों पर कब्जा जमाया था. उद्धव को अपना मेयर बनाने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाना पड़ा, जिसके बाद ही शिवसेना की किशोरी पेडणेकर महापौर बन सकी थी. ऐसी में पिछले 2 महीने में जिस तरह सियासी गतिविधियां हुई हैं उससे बीएमसी के समीकरण भी बदल गए हैं. एकनाथ शिंद ने उद्धव ठाकरे के दो तिहाई विधायकों को लेकर बीजेपी से हाथ मिला लिया है. मनसे प्रमख राज ठाकरे की बीजेपी के साथ नजदीकियां बढ़ गई है.
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिंदे-मनसे की एक तिकड़ी बन रही है, जिसके जरिए मुंबई को शिवसेना के हाथों से छीनने की है. इस तिकड़ी के चलते बीएमसी चुनाव में इस बार उद्धव ठाकरे को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है. अमित शाह ने बीजेपी के लिए 150 सीट का टारगेट फिक्स कर दिया है. ऐसे में 150 सीटों से ज्यादा जीतने का मतलब वह सभी सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
पिछले चुनाव में राज ठाकरे की एमएनएस को 7 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इस बार शिवसेना ने संभाजी ब्रिगेड के साथ चुनावी गठबंधन की घोषणा की है.एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि गठबंधन के बारे में उनकी पार्टी विचार कर रही है और इस बारे में कोई अंतिम फैसला भी नहीं हुआ है जबकि कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने की दिशा में है. ऐसे में अमित शाह की खुली चुनौती और 150 से अधिक सीटें जीतने का संकल्प लिया है.
उद्धव ठाकरे के सत्ता से बेदखल होने के चलते शिवसेना के लोगों का मनोबल गिरा हुआ है. सत्ता अपने आप में एक अलग ऊर्जा और उत्साह देती है, जो बीजेपी नेताओं में दिख रहा है. राज ठाकरे भी हिंदुत्व के एजेंडे पर ही नहीं बल्कि वापसी का मौका भी दिख रहा है. ऐसे में उनकी बीजेपी नेताओं और सीएम एकनाथ शिंदे के साथ मुलाकातों का दौर भी जारी है. ऐसे में शिवसेना के लिए बीएमसी में अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है.
राज ठाकरे पिछले डेढ़ दशक से अकेले चुनाव लड़कर अपना सियासी हश्र देख चुके हैं और अब उन्हें बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर मजबूत होने का मौका दिख रहा है. ऐसे में बीजेपी बीएमसी चुनाव में 30 से 35 सीटें देकर गठबंधन के लिए तैयार कर सकती है, क्योंकि शिंदे गुट को भी सीटें देनी हैं. बीजेपी खुद के लिए 150 सीटें रखना चाहती है ताकि सबसे बड़े दल के तौर पर जीतकर मुंबई में अपना मेयर बना सके. ऐसे में बीजेपी की कवायद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट और राज ठाकरे की पार्टी के साथ शिवसेना के मराठी वोट बैंक को कब्जाने की है ताकि मुंबई पर राज किया जा सके.