भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद ने पटाखे चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समय सीमा का विरोध किया है. मध्य प्रदेश के उज्जैन आलोट से बीजेपी के सांसद चिंतामणि मालवीय ने कहा है कि धर्म की प्रथाएं और त्योहार के रीति-रिवाज हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक चलते हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक बीजेपी सांसद ने कहा कि दिवाली के दिन वे पटाखे तभी चलाएंगे जब उनकी पूजा खत्म हो जाएगी. बीजेपी सांसद ने कहा, "हम त्योहारों को समय सीमा में बांध नहीं सकते हैं, ऐसे प्रतिबंध तो मुगलों के काल में भी नहीं थे, ये स्वीकार्य नहीं है."
बीजेपी सांसद ने बाद में ट्वीट कर लिखा, "मैं अपनी दीवाली अपने परम्परागत तरीके से मनाऊंगा और रात में लक्ष्मी पूजन के बाद 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाऊंगा, हमारी हिन्दू परंपरा में किसी की भी दखलंदाजी मैं हरगिज बर्दाश्त नही कर सकता. मेरी धार्मिक परम्पराओं के लिए यदि मुझे जेल भी जाना पड़े तो मैं खुशी-खुशी जेल भी जाऊंगा."Our religions traditions and festivals are followed by Hindu calendar. I will burst crackers only when I finish puja, we can't set time limits on festivals, such restrictions were not even in Mughal times. Its unacceptable: BJP MP Chintamani Malviya on SC order on #firecrackers pic.twitter.com/AEDkKFg0YD
— ANI (@ANI) October 23, 2018
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 अक्टूबर) को एक फैसले में पटाखे चलाने के समय-सीमा निर्धारित की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिवाली की रात पटाखे रात को 8 बजे से 10 बजे के बीच ही चलाए जा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक यह समय सीमा पूरे देश पर लागू होगी.में अपनी दीवाली अपने परम्परागत तरीके से मनाऊंगा और रात में लक्ष्मी पूजन के बाद 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाऊंगा । हमारी हिन्दू परंपरा में किसी की भी दखलंदाजी में हरगिज बर्दाश्त नही कर सकता । मेरी धार्मिक परम्पराओं के लिए यदि मुझे जेल भी जाना पड़े तो में खुशी खुशी जेल भी जाऊंगा । pic.twitter.com/Vvmyqmyxln
— Chintamani Malviya (@drchintamani) October 23, 2018
मंगलवार को ही केन्द्रीय मंत्री ने सबरीमाला विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि क्या आप खून से सने सैनिटरी पैड को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? नहीं न, तो आप उसे भगवान के घर में क्यों ले जाएंगे.'
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष (रजस्वला आयु वर्ग) आयु की महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटा दी थी. इसके बाद कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी, इस पर जोरदार विवाद हुआ था.