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CM शिंदे के गांव में दो हैलीपैड, लेकिन ढंग की सड़क नहीं, बॉम्बे हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

हाई कोर्ट में जब शिंदे के गांव में हेलीपैड का मुद्दा उठा तब सरकारी वकील संजीव कदम ने अदालत से कहा कि मुख्यमंत्री इलाके को जानते हैं. उनका अपना गांव भी कोयना बांध के पानी से प्रभावित है. तब बेंच ने सरकारी वकील से पूछा कि आपने और सकारात्मक प्रयास क्यों नहीं किए?

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मुंबई तक की खबर पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है.
मुंबई तक की खबर पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आजतक की वेबसाइट मुंबई तक की खबर पर कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
  • छात्र-छात्राओं के शिक्षा के लिए स्थायी समाधान खोजें: जस्टिस वराले

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सतारा जिले की स्कूली छात्राओं के संबंध में स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गांव को लेकर टिप्पणी की है. जस्टिस पीबी वराले की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुख्यमंत्री के गांव में सड़क नहीं है, कोई पुल नहीं है लेकिन दो-दो हैलीपैड हैं. दरअसल, आजतक की एक खबर में दिखाया गया था कि स्कूल की बच्चियां हर रोज स्कूल जाने के लिए झीलों और जंगलों को पार करती हैं. इसी खबर पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. 

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जस्टिस वरले ने कहा कि अगर गांव में दो हेलीपैड हैं तो हमें आपत्ति नहीं है लेकिन अच्छी सड़क उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि बच्चे स्कूल जा सकें. हम बच्चों के लिए स्कूल या कॉलेज जाने, उनकी शिक्षा पूरी करने और समाज की मदद करने के लिए सड़कें देखना चाहते हैं. बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा के रहने वाले हैं.

मुंबई तक की खबर पर कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

दरअसल, कुछ महीने पहले आजतक के मुंबई तक वेबसाइट में एक न्यूज पब्लिश हुई थी. इस न्यूज को देखने के बाद जस्टिस वराले की बेंच ने स्वत: संज्ञान याचिका पर विचार किया था. मुंबई तक में प्रकाशित खबर में दिखाया गया था कि सतारा जिले के खिरखिंडी गांव के बच्चे विशेषकर लड़कियों को प्रतिदिन स्कूल जाने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद शिंदे के बेटे सांसद श्रीकांत ने कोयना बांध को पार करने के लिए बच्चों के लिए एक नाव दान की थी.

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छात्र-छात्राओं के शिक्षा के लिए स्थायी समाधान खोजें: जस्टिस वराले

जस्टिस वराले ने आगे कहा कि हमें खुशी होगी अगर इन छात्र और छात्राओं के लिए शिक्षा प्राप्त करने के मामले में स्थायी रूप से कुछ किया जाता है, यदि संभव हो तो उनके घर के पास आवासीय छात्रावास आदि होना चाहिए. हमें केवल यह देखने में दिलचस्पी है कि कुछ किया जाता है या नहीं. विशेष रूप से छात्राओं के लिए. उन्होंने ये भी कहा कि इन बच्चों की शिक्षा के लिए एक स्थायी समाधान खोजें.

बता दें कि कोर्ट को पहले सूचित किया गया था कि सह्याद्री बाघ परियोजना से प्रभावित होने के कारण कई परिवारों को ठाणे जिले के भिवंडी में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो यहां से जाने से इनकार कर रहे हैं. कदम ने गुरुवार को अदालत को बताया कि यहां से नहीं जाने वाले परिवारों ने कहा है कि हमें सह्याद्री बाघ परियोजना से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन पुनर्वास बेहतर तरीके से किया जा सकता है. जब मैंने परिवारों से बात की तो वे कहते हैं कि वे भिवंडी नहीं जाना चाहते लेकिन सतारा या आसपास के इलाकों में उनका पुनर्वास होना ठीक है.

इसके बाद बेंच ने मुख्य सचिव को राज्य के वित्त विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, शिक्षा विभाग और सामाजिक न्याय विभाग के सचिवों के साथ बैठक बुलाने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि मुख्य सचिव बैठक के बाद अपनी राय के साथ वर्तमान मामले में उठाए गए मुद्दों का स्थायी समाधान देते हुए एक रिपोर्ट तैयार करेंगे. बेंच ने कोर्ट को एक हलफनामे के साथ 30 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. 

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