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बॉम्बे HC ने वर्षा गायकवाड़ के खिलाफ चुनाव याचिका को किया खारिज, कहा- आरोपों और बिना ठोस सबूत के नहीं चलाया जा सकता मुकदमा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर मध्य संसदीय क्षेत्र से डॉ. वर्षा एकनाथ गायकवाड़ के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति शर्मिला यू. देशमुख ने फैसला सुनाते हुए फैसला सुनाया कि याचिका कार्रवाई के वैध कारण का खुलासा करने में विफल रही और चुनावी चुनौती को बरकरार रखने के लिए आवश्यक भौतिक फैक्ट्स का अभाव है.

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Bombay HC. (फाइल फोटो)
Bombay HC. (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को 2024 के लोकसभा चुनाव में 29वें मुंबई उत्तर मध्य संसदीय क्षेत्र से डॉ. वर्षा एकनाथ गायकवाड़ के चुनाव को चुनौती देने वाली एक चुनाव याचिका खारिज कर दी.

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वकील आसिफ अली सिद्दीकी द्वारा दायर याचिका में चुनावी कदाचार का आरोप लगाया गया और रिश्वतखोरी, अनुचित प्रभाव और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर गायकवाड़ के चुनाव को रद्द करने की मांग की गई.

न्यायमूर्ति शर्मिला यू. देशमुख ने फैसला सुनाते हुए फैसला सुनाया कि याचिका कार्रवाई के वैध कारण का खुलासा करने में विफल रही और चुनावी चुनौती को बरकरार रखने के लिए आवश्यक भौतिक फैक्ट्स का अभाव है. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि केवल आरोपों के बेस पर, बिना ठोस सबूत के महज आरोपों पर मुकदमा चलाने की जरूरत नहीं है.

न्यायमूर्ति देशमुख ने कहा, 'इस बात पर विचार करते हुए कि चुनाव याचिका में दलीलें विशिष्ट, सटीक और स्पष्ट होनी चाहिए... जहां पूरी वादपत्र को समग्र रूप से पढ़ने पर भी चुनाव याचिका कार्रवाई के कारण का खुलासा नहीं करती है, उसे खारिज कर दिया जा सकता है.

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अधिवक्ता मोइन चौधरी के माध्यम से दायर की गई सिद्दीकी की याचिका में गायकवाड़ और उनकी अभियान टीम पर रिश्वत के रूप में मतदाताओं को पैसे और कांग्रेस गारंटी कार्ड वितरित करने का आरोप लगाया गया. इसके अलावा बिना उचित प्रकटीकरण के प्रचार सामग्री छापने का भी आरोप लगाया गया था जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 127-ए का उल्लंघन है. हालांकि, अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने इन आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत, जैसे वीडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ या गवाहों के बयान, प्रस्तुत नहीं किए.

एक स्कूटर के जरिए नकदी के कथित बांटने के संबंध में अदालत ने आरोप अस्पष्ट पाए. जैसे वाहन के मालिक या गायकवाड़ से सीधा संबंध नहीं था. इसी तरह अनधिकृत पैंपलेट के दावे को खारिज कर दिया गया, क्योंकि याचिकाकर्ता गायकवाड़ और बांटने वाली सामग्री के बीच एक स्पष्ट संबंध स्थापित करने में विफल रहा.

गायकवाड़ ने याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए अधिवक्ता तेजस देशमुख के माध्यम से अंतरिम याचिका दायर की थी. पीठ ने गायकवाड़ की याचिका को स्वीकार कर चुनाव याचिका खारिज कर दी. इस फैसले के साथ गायकवाड़ का चुनाव वैध बना हुआ है.

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