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चाय नहीं मिली तो हथौड़े से मार दिया था पत्नी को, कोर्ट ने कहा- संपत्ति नहीं थी आपकी, सजा बरकरार

कोर्ट ने कहा कि ऐसे क्रूर तरीके से मां को खो देने से बच्चे को जो आघात लगा उसको ध्यान में रखना होगा. कोर्ट ने संतोष की सजा को बरकरार रखते हुए उसकी सजा के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बॉम्बे हाई कोर्ट में पत्नी की हत्या के दोषी पति की याचिका
  • सजा के खिलाफ कोर्ट में लगाई थी याचिका
  • हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए सजा बरकरार रखी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पत्नी की हत्या के दोषी एक शख्स की अपील पर किसी भी प्रकार की उदारता दिखाने से इनकार कर दिया. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दोषी पति की इस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा कि पत्नी के चाय बनाने से इनकार करने पर वह भड़क गया था. कोर्ट ने कहा पत्नी कोई संपत्ति या वस्तु नहीं है. पत्नी को संपत्त‌ि मानने की मध्ययुगीन अवधारणा, दुर्भाग्य से अभी भी बहुतों की मानसिकता में बनी हुई है. 

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क्या है पूरा मामला

दरअसल, महाराष्ट्र के सोलापुर में रहने वाला 35 वर्षीय संतोष महादेव अटकर पत्नी के साथ अक्सर झगड़ा किया करता था. उसे शक था कि वह उसे धोखा दे रही है. 19 दिसंबर, 2013 को पीड़िता मनीषा बिना चाय तैयार किए घर से जा रही थी. जिसके कारण दंपति में झगड़ा हो गया. इस बीच संतोष ने गुस्से में आकर अपनी पत्नी के सिर पर हथौड़े से हमला कर दिया. 

अस्पताल में हुई पत्नी की मौत 

हथौड़े के चोट से मनीषा घायल हो गई, जिसके बाद पति खून के धब्बों को साफ कर उसे अस्पताल ले गया. लेकिन इलाज के दौरान 25 दिसंबर को मनीषा ने दम तोड़ दिया. 

कोर्ट ने दोषी ठहराया 

मामला कोर्ट में पहुंचा और एक जुलाई, 2016 को पंढरपुर कोर्ट ने संतोष को दोषी ठहराते हुए 10 साल जेल की सजा सुनाई. साथ ही 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया. 

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सजा के खिलाफ दायर की अपील 

इसी मामले में हाई कोर्ट सजा के खिलाफ संतोष महादेव अटकर की अपील पर सुनवाई कर रहा था. सुनवाई के दौरान जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने संतोष की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसकी पत्नी ने चाय बनाने से इनकार करके उसे एकाएक भड़कने का कारण दे दिया. जस्टिस रेवती ने इस दलील को इनकार करते हुए कहा कि शादी साझेदारी, समानता पर आधारित है. पत्नी को संपत्त‌ि मानने की मध्ययुगीन धारणा गलत है. 

6 साल की बेटी की गवाही पर भरोसा

यही नहीं कोर्ट ने दंपति की 6 साल की बेटी की गवाही पर भी भरोसा किया. बेटी ने घटना को देखा था कि कैसे उसके पिता ने मां पर हथौड़े से हमला किया. हालांकि, निचली अदालत ने बेटी की गवाही को खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे क्रूर तरीके से मां को खो देने से बच्चे को जो आघात लगा उसको ध्यान में रखना होगा. कोर्ट ने संतोष की सजा को बरकरार रखते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया.

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