बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि वह चुनाव के दौरान हथियारों के लाइसेंस धारकों के मामलों की व्यक्तिगत आधार पर समीक्षा करने के निर्वाचन आयोग के निर्देशों के मद्देनजर दिशा निर्देशों को नए सिरे से तैयार करे. 17 अगस्त 2009 को गृह विभाग द्वारा जारी निर्देशों में खामियों को रेखांकित करते हुए जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसमें केवल लोगों की श्रेणियों का जिक्र किया गया है जैसे जो जमानत पर रिहा हैं, जिनका आपराधिक रिकार्ड रहा है और वे लोग जो दंगों में शामिल रहे हैं, खासतौर से चुनाव के दौरान.
पीठ ने 13 अगस्त के अपने आदेश में कहा, लेकिन इन दिशा निर्देशों में इस बात का जिक्र नहीं है कि ऐसी श्रेणियों में आने वाले लोगों के मामलों की समीक्षा किए जाने की जरूरत है. पीठ ने कहा कि इसलिए गृह विभाग ने दिशा निर्देश जारी करते समय निर्वाचन आयोग के मूल संदेश को ही नजरअंदाज कर दिया जो उपरोक्त श्रेणियों में आने वाले लाइसेंस धारकों के मामलों की समीक्षा की जरूरत पर जोर देता है.
पीठ ने यह भी कहा कि ऐसा कोई एक आदेश नहीं हो सकता कि चुनाव के दौरान सभी लाइसेंस धारक पुलिस थानों में अपने लाइसेंस जमा कराएं. इससे कानून का पालन करने वाला एक नागरिक जिसे हथियार रखने के लिए लाइसेंस जारी किया गया है, वह इस प्रकार के निर्देश को अपनी गरिमा और सामाजिक दर्जे के खिलाफ मान सकता है.