scorecardresearch
 

बॉम्बे HC ने सैनिटरी नैपकिन के टेंडर को रोकने से किया इंकार, लड़कियों की सुरक्षा को बताया महत्वपूर्ण

महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन के प्रोजेक्ट से जुड़ी याचिका पर शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की बेंच ने याचिका का निस्तारण किया. याचिका में 9,940 स्कूलों को सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति के लिए निविदा में लगाई गई शर्तों को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि हमें टेंडर की शर्तों में कोई अवैधता नहीं दिख रही है.

Advertisement
X
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सैनिटरी नैपकिन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सैनिटरी नैपकिन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी स्कूल के लिए सैनिटरी नैपकिन की सप्लाई प्रोजेक्ट के टेंडर को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. HC ने टेंडर को रोकने से साफ इनकार कर दिया है. हाई कोर्ट ने लड़कियों की सुरक्षा और स्वच्छता को महत्वपूर्ण बताया है. कोर्ट ने कहा कि उद्देश्य के लिए गुणवत्ता बनाए रखनी होगी. हमें निविदा की शर्तों में कोई अवैधता नहीं मिली है.

Advertisement

बताते चलें कि महाराष्ट्र के 9940 सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए सैनिटरी नैपकिन खरीदने के लिए राज्य सरकार की निविदा में कुछ शर्तों पर आपत्ति जताई गई थी, जिसमें कहा गया था कि छात्राओं की सुरक्षा और स्वच्छता महत्वपूर्ण है और क्वालिटी बनाए रखना जरूरी है. सरकार की निविदा शर्तों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. इस याचिका में स्कूली लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन की सप्लाई प्रोजेक्ट के लिए ई-निविदा की दो शर्तों को चुनौती दी गई थी. शुक्रवार को HC के एक्टिंग चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप वी मार्ने की बेंच ने 69 वर्षीय स्टार्ट-अप मालिक की याचिका का निस्तारण कर दिया है. 

'प्रोजेक्ट के लिए 3 साल का अनुभव जरूरी'

बताते चलें कि सरकार की तरफ से निविदा प्रक्रिया में पात्र होने के लिए बोली लगाने वालों के पास प्रोजेक्ट में 3 साल का अनुभव और सालाना 12 करोड़ रुपये का टर्नओवर होना चाहिए. याचिकाकर्ता ने इससे पहले प्रस्तुत किया कि वह 2019 में पंजीकृत एक स्टार्ट-अप MSME था, यह 5 साल के लिए एक स्टार्ट-अप था. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के पास स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने और सभी स्टार्ट-अप के लिए चाहे MSME हो या नहीं, पूर्व टर्नओवर शर्तों में छूट देने की नीति है.

Advertisement

'गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शर्तें लगाईं'

उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि टेंडर की अन्य शर्तें भी अवैध हैं, जिसके लिए ठोस कचरे के निपटान के लिए अधिकतम 800 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, जबकि मानदंड और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार यह 900 डिग्री होना चाहिए. अतिरिक्त सरकारी वकील ने तर्क दिया कि गुणवत्ता बनाए रखना आवश्यक है. क्योंकि यह स्कूली लड़कियों के स्वास्थ्य से संबंधित है और ऐसे में अनुभव और टर्नओवर की शर्त में ढील नहीं दी जा सकती है. निविदा में यह सुनिश्चित करने की शर्तें हैं कि उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे.

हाई कोर्ट ने याचिका का निस्तारण किया और कहा- चूंकि परियोजना स्कूली लड़कियों के लिए सुरक्षा और हाइजिन प्रैक्टिस और महाराष्ट्र के सरकारी स्कूल में सैनिटरी नैपकिन की आपूर्ति के लिए है, स्वभाविक रूप से प्रमुख कारकों को ध्यान में रखना होगा. राज्य में सैनिटरी नैपकिन की गुणवत्ता है और इस उद्देश्य के लिए पिछला अनुभव बहुत जरूरी है. इसके अलावा, सप्लाई महाराष्ट्र के 9940 स्कूलों के लिए है. बड़ी संख्या में आपूर्ति की आवश्यकता है, इसलिए पिछला टर्नओवर और अनुभव प्रासंगिक है.

सुनवाई के अंत में जस्टिस मार्ने ने याचिकाकर्ता के लिए हल्के फुल्के अंदाज में टिप्पणी की और कहा- हम हौसला अफजाई करते हैं कि 69 साल की उम्र में भी आपने स्टार्ट-अप किया है.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement