बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे पुलिस को एक जोड़े को अपनी सुरक्षा में उनके कल्याण स्थित घर तक पहुंचाने का आदेश दिया. दो अलग अलग धर्मों से ताल्लुक रखने वाले इस जोड़े ने दिसंबर में शादी की थी. इस पर बालिग लड़की के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और बेटी को उनके पास पहुंचाए जाने की बात कही थी.
लड़की ने जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस मनीष पिताले की डिवीजन बेंच को बताया था कि वो अपने पति के साथ रहना चाहती है. डिवीजन बेंच ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि अंतर्जातीय विवाहों को समाज में एकरूपता लाने के लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए.”
जस्टिस शिंदे ने आगे कहा, “देश में 3000 सेक्ट (संप्रदाय) और धर्म हैं. हर 25 किलोमीटर के बाद अलग तरह के लोग रहते मिलते हैं. इस देश में 130 करोड़ लोग साथ रहते हैं.”
क्या था केस?
19 साल की लड़की के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में हेबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दाखिल की और बेटी को सामने लाए जाने की मांग की. पिता ने कोर्ट को बताया कि “कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से उनकी बेटी अधिकतर घर पर ही रहती थी. उसकी इच्छा पर 6 दिसंबर 2020 को एक शख्स के साथ शादी कर दी गई. बेटी सगाई से खुश थी और उसने कपड़े और जूलरी की खरीदारी में हिस्सा भी लिया.''
उन्होंने कहा, ''30 दिसंबर 2020 की सुबह साढ़े नौ बजे बेटी अपनी मां को ये कह कर घर से निकली कि वो दर्जी के पास जा रही है. जब काफी घंटे बीत जाने के बाद भी लड़की घर नहीं पहुंची तो परिवार वालों ने उसे ढूंढना शुरू किया. जब वो नहीं मिली तो उन्होंने खडकपाडा पुलिस स्टेशन को इसकी जानकारी दी. वहां सीनियर पुलिस ऑफिसर ने उन्हें 24 घंटे इंतजार करने के लिए कहा.”
उसी शाम को खडकपाडा थाने से कुछ पुलिसकर्मियों ने लड़की के घरवालों को सूचित किया कि वो अंतर धर्म शादी कर चुकी है और अपने पति के परिवार के साथ रह रही है. पिता ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा कि उनकी बेटी को उनके परिवार के पास वापस पहुंचाया जाए और लड़के के खिलाफ केस दर्ज किया जाए.
कोर्ट ने क्या कहा?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार किया और व्यवस्था दी, “हम ये साफ करना चाहते हैं कि लड़की को अपनी इच्छा से अपने लिए कदम उठाने का हक है.”