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'इस शहर में इंसान की जान की कीमत क्या है?', पानी की टंकी में डूबने से 2 बच्चों की मौत के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा

जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल की बेंच ने पूछा कि इस शहर में मानव जीवन की कीमत क्या है? क्या बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की कम बजट संबंधी समस्याएं सुरक्षा प्रदान करने में विफलता का जवाब हैं.

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में स्वतः संज्ञान लिया है
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में स्वतः संज्ञान लिया है

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए पूछा कि इस शहर में मानव जीवन की कीमत क्या है. पिछले दिनों मध्य मुंबई के एक सार्वजनिक उद्यान में खुले पानी के टैंक में गिरने से 2 बच्चों की मौत हो गई थी. दोनों बच्चे लापता थे और 1 अप्रैल को मृत पाए गए थे. उनके शव वडाला में नगर निगम द्वारा संचालित महर्षि कर्वे गार्डन में एक पानी की टंकी में मिले थे. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि नगर निगम की कोई जिम्मेदारी नहीं है, भले ही उसकी लापरवाही से कोई हादसा हो जाए या किसी की मौत ही क्यों न हो जाए. 

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जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल की बेंच ने पूछा कि इस शहर में मानव जीवन की कीमत क्या है? क्या बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की कम बजट संबंधी समस्याएं सुरक्षा प्रदान करने में विफलता का जवाब हैं. बेंच ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 4 और 5 साल की उम्र के 2 बच्चों के बारे में कुछ समाचार पत्रों के लेखों का संज्ञान लिया. जिस नागरिक उद्यान में पानी की टंकी में बच्चों के शव मिले थे, उस टंकी पर कोई ढक्कन नहीं था. 

दो बच्चे रविवार सुबह 9.30 बजे वडाला स्थित महर्षि कर्वे गार्डन में खेलने के लिए घर से निकले थे. जब वह घर नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता हुई और वह उनकी तलाश में भटकने लगे. परिजनों को जब बच्चे नहीं मिले तो उन्होंने पानी की टंकी के पास खोजा. परिजनों को दोनों बच्चे टैंक में डूबे मिले थे. बेंच ने समाचार पत्रों की रिपोर्टों पर गौर किया कि वडाला सिटीजन्स फोरम ने टैंक की स्थिति के बारे में नगर निकाय से बार-बार शिकायत की थी और कहा था कि इससे खतरा है. एक अन्य समाचार पत्र की रिपोर्ट में कहा गया था कि बीएमसी ने इसके लिए बजट न होने का हवाला दिया था. 

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बेंच ने कहा कि समाचार रिपोर्ट सार्वजनिक कानून का सवाल उठाती हैं और इसमें केवल बीएमसी के अधिकारियों के लिए ही नहीं, बल्कि नागरिक जिम्मेदारी, लापरवाही और वित्तीय जिम्मेदारी के मुद्दे भी होंगे. पीठ ने अपनी 4 पेज की रिपोर्ट में कहा कि रेलवे जैसे सरकारी निकायों में मुआवजे के लिए एक नीति और एक रूपरेखा है और इस उद्देश्य के लिए एक समर्पित न्यायाधिकरण है.  

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि हमें यह समझ से परे लगता है कि संबंधित निगम की लापरवाही के कारण
 कोई दुर्घटना या मृत्यु हुई है तो नगर निगम की कोई जिम्मेदारी या दायित्व नहीं बनता. अदालत ने वरिष्ठ वकील शरण जगतियानी और वकील मयूर खांडेपारकर को अदालत की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया. अदालत ने रजिस्ट्री को स्वत: संज्ञान जनहित याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया और बीएमसी को नोटिस जारी किया.

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