बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया है. परमबीर सिंह अभी होमगार्ड के डीजी हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि ठाणे में उनके खिलाफ जो शिकायत दर्ज की गई है, वो राजनीति से प्रेरित है, इसलिए उन्होंने इस मामले की जांच पर रोक लगाने की याचिका लगाई थी.
दरअसल, परमबीर सिंह के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. इस मामले की जांच ठाणे पुलिस कर रही है. परमबीर सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी. इस पर हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर 23 मई तक रोक लगा दी है.
जस्टिस एसजे कथावाल और जस्टिस एसपी तावड़े ने महाराष्ट्र सरकार को परमबीर सिंह को गिरफ्तार नहीं करने को आदेश दिए हैं. राज्य सरकार की तरफ से पिछली सुनवाई के दौरान कहा गया था कि परमबीर सिंह को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. लेकिन इस बार महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश वकील डेरियस खंबाटा ने कहा, "मैं बयान देने की स्थिति में नहीं है. एससी-एसटी एक्ट के तहत ये बेहद गंभीर मामला है. मैं ये नहीं कह रहा कि उन्हें रातों-रात गिरफ्तार कर लिया जाएगा लेकिन मैं जांच में किसी तरह दिक्कत नहीं चाहता."
महाराष्ट्रः परमबीर सिंह का ट्रांसफर क्यों किया था? अनिल देशमुख ने बताया
खंबाटा ने ये भी कहा कि परमबीर सिंह ने बिना कोर्ट को बताए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इस पर सिंह की तरफ से पेश वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि पिछली सुनवाई के वक्त सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की गई थी और वहां याचिका लगाने के बाद ये पहली सुनवाई है.
महेश जेठमलानी ने महाराष्ट्र सरकार पर बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, क्योंकि परमबीर सिंह ने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाए थे, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. जेठमलानी ने कहा, "परमबीर सिंह की चिट्ठी के बाद प्रतिशोध तेज हो गए. ये सब एक अपराध को छिपाने के लिए हो रहा है. परमबीर सिंह अनिल देशमुख के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच में गवाह हैं. राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई सीबीआई जांच को रोकना चाहती है."
रात के 12 बजे तक चली इस मामले पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक परमबीर सिंह को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. इस मामले की अगली सुनवाई अब 23 मई को होगी.
क्या है पूरा मामला?
मार्च में परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस के कमिश्नर पद से हटा दिया गया था. उन्हें होमगार्ड का डीजी बना दिया गया था. इसके बाद परमबीर सिंह की एक चिट्ठी सामने आई थी, जो उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे को लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने दावा किया था कि अनिल देशमुख ने गृहमंत्री रहते हर महीने सचिन वाजे से 100 करोड़ रुपए देने की मांग की थी. भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद अप्रैल के पहले हफ्ते में ही देशमुख को गृहमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है.