मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली गोदरेज एंड बॉयस द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि यह एक ड्रीम प्रोजेक्ट है और देश को इसकी जरूरत है.
जस्टिस आरडी धानुका और एमएम सथाये की बेंच ने गुरुवार को आदेश सुनाया. पीठ ने कहा, "परियोजना राष्ट्रीय महत्व और जनहित की है. किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. कंपनी को दिए गए मुआवजे में कोई अवैधता नहीं पाई गई. याचिकाकर्ता ने हमारे लिए अपनी अतिरिक्त न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करने का मामला नहीं बनाया है. ये सामूहिक हित में है, जोकि सर्वोपरि है. ये परियोजना अपनी तरह की पहली होगी."
कंपनी की ओर से पेश वकील नवरोज सीरवई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए आदेश पर रोक लगाने की मांग की. सीरवई ने कहा कि मैं स्टे की मांग नहीं कर रहा हूं. मैं सिर्फ यथास्थिति की मांग कर रहा हूं. परियोजना पूरी होने के करीब नहीं है.
नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) अनिल सिंह ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि जमीन के अधिग्रहण करने की आवश्यकता है. महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश पूर्व महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने भी विरोध किया. हाई कोर्ट ने आदेश पर अपील के अनुसार स्टे नहीं लगाया.
कंपनी द्वारा दायर याचिका में डिप्टी कलेक्टर द्वारा 264 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के बाद कंपनी की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए 15 सितंबर, 2022 को पारित मुआवजे के फैसले को चुनौती दी गई थी. भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को "गैरकानूनी" बताते हुए सीरवई ने तर्क दिया कि इसमें कई अनियमितताएं थीं.
कंपनी ने अपनी याचिका में मांग की थी कि उच्च न्यायालय राज्य सरकार को आदेश पारित करे और कब्जे की कार्यवाही शुरू करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दे. सरकार 2019 से बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए मुंबई के विक्रोली इलाके में कंपनी के स्वामित्व वाली जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है. मुंबई और अहमदाबाद के बीच कुल 508.17 किलोमीटर रेल ट्रैक में से लगभग 21 किलोमीटर भूमिगत होने की योजना है. भूमिगत सुरंग के प्रवेश बिंदुओं में से एक विक्रोली (गोदरेज के स्वामित्व वाली) में भूमि पर पड़ता है.