बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की एक हाउसिंग सोसाइटी के चौकीदार को जमानत देने से इनकार कर दिया है, जो अपनी सौतेली पोती के साथ यौन शोषण के आरोप का सामना कर रहा है. आरोपी चौकीदार ने पीड़िता की दादी से 2023 की शुरुआत में शादी की थी और मुंबई में उनके घर में रहने लगा था. पीड़िता की मां काम के सिलसिले में घर से बाहर जाती थी और 5 वर्षीय पीड़िता और उसके छोटे भाई को अपनी मां यानी पीड़िता की दादी के पास छोड़ जाती थी.
पेशाब करते समय पीड़िता को हुआ दर्द
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि पीड़िता की दादी घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी लिहाजा बच्चे आरोपी के पास रहते थे. 31 अगस्त 2023 को, बच्ची ने पेशाब करते समय दर्द की शिकायत की, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया.
कुछ दिनों बाद फिर बच्ची ने दर्द की शिकायत की, जिसके बाद मां को घटना की जानकारी मिली और 4 सितंबर 2023 को एफआईआर दर्ज करवाई गई. चौकीदार के वकील राम सिंह ने तर्क दिया कि पूरा मामला झूठा है और उन्हें फंसाया गया है.
'सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर सकता है आरोपी'
अतिरिक्त लोक अभियोजक मयूर सोनावने ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह अपराध गंभीर प्रकृति का है. आरोपी, पीड़िता की दादी के माध्यम से पीड़िता से संबंधित है इसलिए वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है या गवाहों को प्रभावित कर सकता है. अभियोजक ने कहा कि आरोपी को रिहा करना उचित नहीं होगा क्योंकि यह कृत्य 5 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ हुआ है.
'अपराध की गंभीरता को देखते हुए नहीं दे सकते जमानत'
जस्टिस मिलिंद जाधव ने सभी तर्कों को सुनने के बाद कहा कि पीड़िता अभी भी मानसिक आघात में है और उसका मनोचिकित्सकीय परामर्श (Psychiatric Counseling) चल रहा है. उन्होंने कहा, 'पीड़िता ने भारी मानसिक और भावनात्मक पीड़ा झेली है. उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया है और उसका परामर्श चल रहा है.'
उन्होंने कहा, 'यह दिखाता है कि पीड़िता अभी भी सदमे में है. आरोपी के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं और यह संभावना है कि आरोपी, जो पीड़िता की दादी का पति है, उन पर दबाव बना सकता है. अपराध की गंभीरता और पीड़िता के परिवार के साथ आरोपी के निकट संबंध को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती.'