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गर्लफ्रेंड का गला घोंटा, शव के कई टुकड़े कर बोरे में भरकर फेंका, अब बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत

जज अमित बोरकर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में सबूतों को देखा और कहा कि मृतक के पूरी तरह से क्षत-विक्षत शरीर को ध्यान में रखते हुए, उसकी पहचान मुकदमे के दौरान तय की जानी चाहिए. हालांकि, प्रथम दृष्टया, शिंदे के खिलाफ रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत इस स्तर पर उसे आगे हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है.

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गर्लफ्रेंड का गला घोंटा, शव के कई टुकड़े कर बोरे में भरकर फेंका, बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी
गर्लफ्रेंड का गला घोंटा, शव के कई टुकड़े कर बोरे में भरकर फेंका, बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने वर्ष 2021 में लिव-इन पार्टनर की गला घोंटकर हत्या करने और फिर काट देने के आरोपी पुणे के एक व्यक्ति को जमानत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से आरोपी को आगे हिरासत में नहीं रखा जा सकता है. क्योंकि जो सबूत दिए जा रहे हैं वे पर्याप्त नहीं है.

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प्रेम संबंध का था मामला
दरअसल, 30 वर्षीय रोजिना रजिया पंसारे उर्फ ​​कविता चौधरी के कुछ दोस्तों ने एक गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें कहा गया था कि वह 8 अगस्त, 2021 से वह लापता है. पुलिस ने आरोपी हनुमंत शिंदे को हिरासत में लिया, इस दौरान आरोप है कि पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसका मृतिका के साथ प्रेम संबंध था. शिंदे शादीशुदा था और उसके साथ उसके किराए के अपार्टमेंट में रह रहा था. 

चूंकि उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया था, इसलिए उनके बीच अक्सर झगड़ा होता था. 12 अगस्त की रात करीब 8 बजे झगड़े के बीच उसने उसका गला घोंट दिया. फिर वह कमरा बंद कर अक्कलकोट भाग गया. वह अगले दिन लौटा और 14 अगस्त को उसने नेहरू चौक स्थित एक दुकान से दो बोरियां खरीदीं. उसने अपने दोस्त से टेम्पो उधार लिया था. वह इसके बाद टेंपो में दराती, चाकू, हेक्सा ब्लेड और बोरी लेकर घर चला गया. 15 अगस्त की रात करीब 12.30 बजे वह कमरे में गया और शव को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर अलग-अलग बोरों में भरकर अलग-अलग स्थानों पर ठिकाने लगा दिया.

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गिरफ्तारी के बाद से शिंदे जेल में था. शिंदे की ओर से पेश वकील सना रईस खान ने दलील दी कि बरामद शरीर के अंगों के डीएनए से मेल खाने के लिए रिकॉर्ड पर मृतक के क्लास-1 वारिस का कोई डीएनए नमूना नहीं है. ऐसी कोई डीएनए रिपोर्ट नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि शरीर के अंग मृतक के हैं. इसके अलावा, जांच पंचनामा से पता चलता है कि शव नष्ट हो गया है और इसलिए ऐसे शव की पहचान करना असंभव है. 

कथित घटना के स्थान पर या उस टेम्पो में जिसमें आरोपी कथित तौर पर शरीर के अंगों को ले जा रहा था, कोई खून के धब्बे नहीं पाए गए. वकील खान ने कोर्ट से कहा कि शिंदे के कहने पर मृतक के शरीर के अंगों का बरामदगी पंचनामा उसकी गिरफ्तारी से पहले किया गया था, जिससे पंचनामा अस्वीकार्य हो गया.

दूसरी ओर, अतिरिक्त लोक अभियोजक अमित पालकर ने कहा कि पानसरे की क्रूर तरीके से हत्या कर उसके शरीर के अंगों को काटकर अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिया गया. पालकर ने बताया कि शव को काटने के लिए शिंदे द्वारा बताई गई जगह पर हथियार पाया गया.

जज अमित बोरकर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में सबूतों को देखा और कहा कि मृतक के पूरी तरह से क्षत-विक्षत शरीर को ध्यान में रखते हुए, उसकी पहचान मुकदमे के दौरान तय की जानी चाहिए. हालांकि, प्रथम दृष्टया, शिंदे के खिलाफ रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत इस स्तर पर उसे आगे हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है.
 

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