बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एक शिकायतकर्ता के खिलाफ टिप्पणी की है. कोर्ट ने जांच एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
जस्टिस मिलिंद जाधव की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की बेंच ने ED के अनुरोध पर आदेश को लागू करने की समयसीमा चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. इस मामले में एक शिकायकर्ता का आरोप है कि ED ने शिकायत पर बिना गहराई में गए आपराधिक प्रक्रिया शुरू कर दी.
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संपत्ति विवाद से संबंधित था मामला
मामला एक संपत्ति विवाद से संबंधित था, जिसे राकेश जैन द्वारा दायर किया गया. जैन के वकील केविक सेतलवाड़ ने दावा किया कि शिकायतकर्ता गुल अछरा के साथ विवाद एक व्यावसायिक संपत्ति के लिए ओक्यूपेशन सर्टिफिकेट (OC) हासिल करने में देरी से शुरू हुआ था. अछरा ने कोर्ट में आपराधिक कार्रवाई के लिए आवेदन किया जबकि मुंबई पुलिस ने मना कर दिया था.
इस मामले में ED ने अछरा का दावा स्वीकार कर लिया था कि जैन ने धोखाधड़ी की है और उनके द्वारा उस दौरान अंधेरी में दो फ्लैट्स और एक गैराज खरीदा गया था. ED ने इसे 'अपराध की आय' करार देते हुए PMLA अदालत में रिपोर्ट दर्ज की और संपत्ति को जब्त करने की अनुमति हासिल की.
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आरोपी के खिलाफ मामला कोर्ट ने खत्म किया
कोर्ट ने पाया कि अछरा ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज कराते समय मुंबई पुलिस की जांच के निष्कर्षों को छुपाया था, जिसमें बताया गया था कि यह मामला असल में असैनिक था. अदालत ने इसे अछरा की बदनीयत बताया. कोर्ट ने कहा कि महज वादे उल्लंघन खुद ही आपराधिक विश्वासघात का अपराध नहीं बनता. कोर्ट ने साथ ही आरोपी के खिलाफ कार्यवाही खत्म करने को कहा.