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Mumbai: पुलिस कांस्टेबल ने किया था ड्रग पेडलर को अरेस्ट, HC ने बताया नियमों के खिलाफ और आरोपी को दी जमानत

अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार 8 नवंबर, 2023 को जब पुलिसकर्मी गश्त पर थे, तो संदेह के आधार पर उन्होंने आरोपी को पकड़ लिया और उसने खुलासा किया कि उसके पास मेफेड्रोन (MD) है. कथित तौर पर उसके पास से 53 ग्राम मेफेड्रोन जब्त किया गया.

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने ड्रैग पैडलर को दी जमानत (File Photo)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ड्रैग पैडलर को दी जमानत (File Photo)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किए गए एक आरोपी को जमानत दे दी, क्योंकि उसे एक कांस्टेबल ने गिरफ्तार किया था, जो नियमों के खिलाफ था.

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आरोपी राजेश श्रीनिवास कुकन उर्फ ​​राजू अन्ना को 8 नवंबर, 2023 को मुंबई के डीएन नगर पुलिस स्टेशन ने गिरफ्तार किया था क्योंकि उसके पास वाणिज्यिक मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ मिला था. उस पर NDPS एक्ट की धारा 8(c) और 22(c) और महाराष्ट्र पुलिस एक्ट की धारा 142 के तहत आरोप लगाए गए थे.

अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार 8 नवंबर, 2023 को जब पुलिसकर्मी गश्त पर थे, तो संदेह के आधार पर उन्होंने आरोपी को पकड़ लिया और उसने खुलासा किया कि उसके पास मेफेड्रोन (MD) है. कथित तौर पर उसके पास से 53 ग्राम मेफेड्रोन जब्त किया गया.

कोर्ट ने बताया नियमों के खिलाफ

हालांकि, जस्टिस मिलिंद एन. जाधव ने पाया कि तलाशी एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा की गई थी, जो एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 का उल्लंघन करती है. यह धारा कुछ सरकारी अधिकारियों को उस परिस्थिति में बिना वारंट के तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने का अधिकार देती है जब उन्हें लगता है कि ड्रग से संबंधित अपराध किया गया है. इन अधिकारियों को चपरासी, सिपाही या कांस्टेबल से उच्च रैंक का होना चाहिए और उन्हें केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किया जाना चाहिए.

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जस्टिस जाधव ने कहा, "एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 की भाषा स्पष्ट और स्पष्ट है. पुलिस कांस्टेबल को तलाशी लेने का अधिकार नहीं है. पुलिस कांस्टेबल द्वारा की गई तलाशी प्रथम दृष्टया अवैध है."

सेशन कोर्ट ने दी थी जमानत

अदालत ने पिछले फैसलों का हवाला दिया, जिसमें तलाशी प्रक्रियाओं के सख्त पालन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि केवल हेड कांस्टेबल रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी ही ऐसी तलाशी लेने के लिए अधिकृत हैं. दूसरी ओर, मुंबई सत्र न्यायालय ने तर्क दिया था कि "चूंकि बरामदगी संयोगवश हुई है, इसलिए एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 के प्रावधान लागू नहीं होते. चूंकि यह संयोगवश हुई बरामदगी है, भले ही तलाशी पुलिस कांस्टेबल द्वारा ली गई हो, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि अपराध गलत नहीं है और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 लागू नहीं होती." 

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हालांकि, प्रक्रियागत अनियमितता और कुकन की लंबी कैद को देखते हुए, उच्च न्यायालय ने उन्हें 50,000 रुपये के बॉन्ड पर कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी, जिसमें पुलिस को नियमित रूप से रिपोर्ट करना और महाराष्ट्र छोड़ने पर प्रतिबंध शामिल है.

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