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आपराधिक मामले छुपाने के आरोप... अजित पवार गुट के विधायक दिलीप बांकर को बॉम्बे हाईकोर्ट का नोटिस

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नासिक के निफाड़ विधानसभा सीट से जीतने वाले एनसीपी अजित पवार गुट के विधायक दिलीप बांकर की मुश्किलें बढ़ गई है. उनपर हलफनामे में अपने खिलाफ आपराधिक मामलों को छिपाने का आरोप लगाया गया है. उन्हें हाईकोर्ट से अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है.

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बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग और महाराष्ट्र के नासिक जिले की निफाड़ विधानसभा क्षेत्र से एनसीपी अजित पवार गुट के विधायक दिलीप बांकर समेत अन्य को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने दीपक मोगल की याचिका पर नोटिस जारी किया है. उन्होंने बांकर पर चुनावी हलफनामे में कुछ अहम सच्चाई छिपाने का आरोप लगाया गया है.

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जस्टिस आरएन लड्डा की बेंच ने वकील नितिन गवारे पाटिल की दलीलें सुनते हुए नोटिस जारी किया. मोगल की तरफ से पेश हुए वकील गवारे पाटिल ने यह अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता क्षेत्र का मतदाता है और बांकर ने अपने चुनावी हलफनामे से जुड़े कुछ अहम सच्चाई को छिपाया है. पाटिल ने यह भी दलील दी कि बांकर ने अपने खिलाफ निफाड़ और पिंपलगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज अपराधों की जानकारी छुपाई है.

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आपराधिक रिकॉर्ड छिपाने के लिए हलफनामे में नहीं बताई सच्चाई

आरोप है कि इस छुपाई गई जानकारी का उद्देश्य था मतदाताओं को यह विश्वास दिलाना कि बांकर का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. इसके अलावा, नामांकन पत्र और उसके साथ संलग्न हलफनामा भी रिटर्निंग अधिकारी द्वारा गलत तरीके से स्वीकार किया गया. 

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सुनवाई के दौरान, जब जस्टिस लड्डा ने पूछा, तब पाटिल ने बताया कि बांकर के खिलाफ निफाड़ में दो एफआईआर और पिंपलगांव में तीन एफआईआर दर्ज हैं और उन्होंने नासिक डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक से संबंधित 865.65 लाख रुपये कि आपराधिक देय को छुपाया है जो उन पर आरोपित है.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के उल्लंघन का दावा

पाटिल ने आगे आरोप लगाया कि रिटर्निंग अधिकारी ने सभी उम्मीदवारों के हलफनामे को प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित नहीं किया, जिससे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 136(1)(b) का उल्लंघन हुआ है.

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याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि बांकर को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जाए और निफाड़ से विधायक के रूप में उनके चुनाव को शून्य और खारिज कर दिया जाए. याचिका में यह भी मांग की गई है कि रिटर्निंग अधिकारी को उनके कथित कृत्य के लिए सजा दिया जाए, और साथ ही एक लाख रुपये जुर्माना लगाने की भी मांग की गई है.

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