बॉम्बे हाईकोर्ट का कहना है कि एंटीलिया बम केस और कारोबारी मनसुख हिरेन हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जिस तरह से जांच की है, उससे वह हैरान हैं. अदालत ने कहा कि एनआईए ने गंभीरता से जांच नहीं की.
जस्टिस रेवती मोहिते धीरे और जस्टिस आरएन लड्डा की पीठ ने कहा कि जिस तरह से एनआईए ने 25 फरवरी 2021 को मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर कार में जिलेटिन की छड़ें प्लांट करने के मामले की जांच की. हम उससे व्यथित हैं.
पीठ ने कहा कि यह साजिश अकेले आरोपी द्वारा रची नहीं जा सकती. इसमें एक से ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं. पीठ ने कहा कि पीठ ने कहा कि एनआईए इस पर मौन था कि मामले के मुख्य आरोपी बर्खास्त पुलिसकर्मी सचिन वाजे ने किसके साथ मिलकर कार में जिलेटिन की छड़ें प्लांट करने की साजिश रची थी. एनआईए ने कहा था कि वाजे ने अन्य के साथ मिलकर साजिश रची थी. लेकिन अन्य के नाम नहीं बताए गए.
पीठ ने कहा कि हमें प्रथमदृष्टया लगा कि एनआईए ने कार में जिलेटिन की छडे़ं रखने के मामले में शामिल अन्य लोगों को लेकर कोई जांच नहीं की. पीठ ने कहा कि ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब एनआईए के पास नहीं हैं.
बता दें कि 25 फरवरी 2021 को मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर जिलेटिन की छड़ों से लदी एक कार बरामद की गई थी. इस मामले की जांच जब मुंबई पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपी गई थी तब सचिन वाजे ने कथित तोर पर अपने अधीन कर्मचारियों को सबूत नष्ट करने का आदेश दिया था.
NIA की दलीलों को निराधार बताते हुए पीठ ने कहा कि पूरी चार्जशीट में एक भी बयान नहीं है. यह नहीं बताया गया है कि काजी ने स्वयं जब्त किए गए किसी भी सबूत को नष्ट कर दिया है. अदालत ने आगे कहा ऐसा प्रतीत होता है कि काजी को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि सचिन वाजे सबूतों को नष्ट करने जा रहा था या वाजे मनसुख हिरेन की हत्या में और जिलेटिन की छड़ें मिलने वाले मामले में शामिल था.