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बकरीद पर निजी दुकानों और निगम के बाजारों में जानवरों की कुर्बानी की BMC की अनुमति पर रोक नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश

बीएमसी की ओर से पेश हुए एडवोकेट मिलिंद साठे ने तर्क दिया कि इस तरह के आवेदन हमेशा त्योहारों की पूर्व संध्या पर किए जाते हैं और याचिकाएं सालभर लंबित रहती हैं. एडवोकेट साठे ने बताया कि नोटिफिकेशन में सिर्फ 67 निजी दुकानों और 47 नगरपालिका बाजारों को जानवरों की कुर्बानी की अनुमति दी गई है.

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने बकरीद पर जानवरों के वध की अनुमति पर रोक लगाने से इनकार किया है
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बकरीद पर जानवरों के वध की अनुमति पर रोक लगाने से इनकार किया है

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा बकरीद के आसपास तीन दिन (17, 18 और 19 जून) के लिए 67 निजी दुकानों और नगर निगम के 47 बाजारों में जानवरों की कुर्बानी की अनुमति देने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अंतरिम राहत प्राप्त करने के लिए अंतरिम आवेदन दाखिल करने जैसी कानूनी प्रक्रियाएं भी याचिकाकर्ताओं द्वारा नहीं की गई हैं.

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जस्टिस एमएस सोनक और कमल खता की बेंच 29 मई 2024 के BMC के नोटिफिकेशन को चैलेंज देने वाली कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत मुंबई में देवनार मठ के बाहर जानवरों की कुर्बानी की अनुमति नगर निगम द्वारा दी गई थी.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकीलों ने तर्क दिया कि BMC द्वारा बनाई गई नीति बस स्टॉप, एयरपोर्ट समेत सार्वजनिक स्थानों पर जानवरों की कुर्बानी की अनुमति नहीं देती है. हालांकि बीएमसी के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी, जिसमें मटन की दुकानों को नीति में शामिल नहीं किए जाने के बावजूद मटन की दुकानों पर जानवरों की कुर्बानी की अनुमति दी गई थी.

सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया कि नीति के तहत 30 दिन पहले नोटिस के माध्यम से बीएमसी की अनुमति की जरूरत होती है और इस प्रकार यह कम्युनिकेशन बीएमसी की नीति के खिलाफ है.

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बीएमसी की ओर से पेश हुए एडवोकेट मिलिंद साठे ने तर्क दिया कि इस तरह के आवेदन हमेशा त्योहारों की पूर्व संध्या पर किए जाते हैं और याचिकाएं सालभर लंबित रहती हैं. एडवोकेट साठे ने बताया कि नोटिफिकेशन में सिर्फ 67 निजी दुकानों और 47 नगरपालिका बाजारों को जानवरों की कुर्बानी की अनुमति दी गई है.

एडवोकेट साठे ने कहा कि यह अनुमति भी सिर्फ 3 दिन के लिए ही है, यानी 17, 18 और 19 जून तक के लिए. उन्होंने तर्क दिया कि इससे पहले भी 72 प्रतिष्ठानों को इसी तरह की अनुमति दी गई थी और याचिकाकर्ता ने इसे चुनौती नहीं दी थी.

जब दोनों पक्षों की ओर से दलीलें दी जा रही थीं, तो बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता एक याचिका के आधार पर अंतरिम राहत की मांग कर रहे है, न कि किसी दलील के आधार पर. बेंच ने कहा कि हमें यकीन नहीं है कि लंबित मामले में अंतरिम राहत मांगने का यह उचित तरीका है या नहीं.

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