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बॉम्बे हाईकोर्ट ने भाजपा नेता चित्रा वाघ को लगाई फटकार, कहा- PIL के जरिए खेल खेला जा रहा

वाघ ने 2021 में एक जनहित याचिका दायर की थी. उस समय उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी महाराष्ट्र में सत्ता में थी. तब शिवसेना विधायक संजय राठौड़ वन विभाग के प्रमुख हुआ करते थे. हालांकि, पुणे की एक लड़की के साथ नाम सामने आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने चित्रा वाघ के वकील से पूछा कि 2021 में जनहित याचिका दायर होने के बाद से अभियोजन पक्ष ने क्या किया. (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाई कोर्ट ने चित्रा वाघ के वकील से पूछा कि 2021 में जनहित याचिका दायर होने के बाद से अभियोजन पक्ष ने क्या किया. (फाइल फोटो)

भाजपा नेता चित्रा वाघ को फटकार लगाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि 'जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के जरिए जो खेल खेला जा रहा है' अदालत इसकी सराहना नहीं करता और इसमें उनके जैसे नेताओं द्वारा अदालतों को भी शामिल किया जा रहा है. कोर्ट में वाघ के वकील ने कहा कि अगर वह जनहित याचिका वापस लेती हैं तो वह निर्देशों का पालन करेंगे, इसपर मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने कहा, 'यह तरीका नहीं है. बदलते हालात के साथ, आपका रुख भी बदल जाता है. जनहित याचिकाओं के जरिए यही खेल खेला जा रहा है. अदालतें इसमें शामिल हैं. हम यह सब पसंद नहीं करते हैं.'

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दरअसल, वाघ ने 2021 में एक जनहित याचिका दायर की थी. उस समय शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी महाराष्ट्र में सत्ता में थी. तब शिवसेना के विधायक संजय राठौड़ वन विभाग के प्रमुख हुआ करते थे. हालांकि, पुणे की एक लड़की के साथ जब उनका नाम सामने आया तब उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. बाद में लड़की ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.

पूजा चव्हाण नाम की आदिवासी लड़की की राठौड़ के कई तस्वीरें और करीब 12 ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर तब वायरल हुईं थी. इस घटना के बाद उनके खिलाफ जांच की मांग उठी. तब वाघ ने एफआईआर दर्ज करने और विशेष टीम से जांच कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. साथ ही वाघ ने इस पूरी जांच को CBI को सौंपने की भी मांग रखी. 

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बाद में साल 2022 में शिवसेना में टूट के बाद वो एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए. जो फिलहाल महाराष्ट्र में  BJP के साथ मिलकर सरकार में शामिल हैं. अब जब वाघ की याचिका को एक बार फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई तब मुख्य न्यायाधीश ने चीफ पब्लिक प्रॉसिक्यूटर हितेन वेनेगांवकर से पूछा कि इस दौरान अभियोजन पक्ष ने क्या किया? 

तब वेनेगांवकर ने अदालत को बताया कि जब आत्महत्या की घटना हुई थी तब राठौड़ नागपुर में थे. राठौड़ की आवाज का सैंपल लिया गया था जो वायरल क्लिप के जैसा तो था लेकिन वह उससे पूरी तरह मेल नहीं खाया. शिंदे ने 2022 में राठौड़ को कैबिनेट में शामिल करते समय कहा था कि उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है.

वेनेगांवकर की दलीलों के बाद, वाघ के वकील ने मांग की कि अदालत याचिका का निपटारा कर दे या फिर वह बाद में संबंधित अदालत में जाकर इसे वापस ले लेंगे. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, 'हमें इसका निपटारा क्यों करना चाहिए? आपको यह बताने की जरूरत है कि फिलहाल आपकी क्या अपील है. इस बारे में स्पष्ट रहें.' इसके बाद वाघ के वकील ने कहा कि वह निर्देश का पालन करेंगे. 

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अदालत की फटकार के बाद वाघ के वकील फिर से कोर्ट में आए और कहा, 'मुझे याचिका वापस लेने के कोई निर्देश नहीं मिले हैं. मुझे कोई तारीख दीजिए. मैं बहस करूंगा.' हालांकि, तब तक कोर्ट को पता चल कि वाघ की याचिका को उस दिन के लिए गलत तरीके से सूचीबद्ध किया गया था, जिसके बाद बेंच ने इसे हटाने का निर्देश जारी किया.

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