बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक 49 वर्षीय एक व्यक्ति को रेप के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है. शख्स पर 10 साल की उम्र से एक लड़की के साथ बार-बार दुष्कर्म करने का आरोप है. इस मामले को जघन्यतम अपराध की श्रेणी में रखते हुए न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की पीठ ने आरोपी की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अपराध न केवल एक विवेकशील व्यक्ति की अंतरात्मा को झकझोरने वाला है बल्कि काफी भयावह है.
पीठ ने अपने आदेश में पीड़िता के 27 पन्नों की डायरी, जिसमें उसने अपनी आपबीती लिखी है, उसका शब्दश: हवाला देते हुए कहा है कि आरोपी के भयानक अपराध के कारण पीड़िता की मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्थित बुरी तरह से प्रभावित हुई है. वहीं पीड़िता के माता-पिता का कहना है कि आरोपी और उसकी पत्नी ने इस बात का फायदा उठाया कि लड़की के पिता दुबई में काम करते थे.
पीड़िता की डायरी के आधार पर मामला हुआ था दर्ज
पीड़िता के माता-पिता के अनुसार जब पीड़िता 17 साल की हुई तो एक लड़के के साथ भाग गई. उस वक्त जब उसके कमरे की तलाशी ली गई, तो एक 27 पन्नों की डायरी मिली. इसमें उसने खुद के साथ हुई दरिंदगी के बारे में लिखा था. इसी डायरी से लड़की के साथ हुए दुष्कर्म का खुलासा हुआ.
पीड़िता से 10 साल की उम्र से कर रहा था हैवानियत
डायरी में पीड़िता ने लिखा है कि जब वह चौथी कक्षा में थी. उस वक्त से आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म करना शुरू कर दिया था. इस बारे में आरोपी की पत्नी को जानकारी थी. लड़की की डायरी में यह भी आरोप लगाया है कि दुष्कर्म से पहले आरोपी उसे एक गोली खिलाता था. लड़की के माता-पिता ने डायरी मिलने के बाद 2021 में ही आरोपी और उसकी पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.
बदनामी के डर से मां ने दर्ज नहीं कराया था मामला
पीठ ने यह भी कहा कि लड़की की डायरी के अनुसार उसने अपने साथ हुई हैवानियत के बारे में अपनी मां को बहुत पहले ही बता दिया था. लेकिन, बदनामी के डर से मां ने कोई कार्रवाई नहीं की. क्योंकि उसके पिता विदेश में काम करते थे. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि ज्यादातर मामलों में यौन शोषण करने वाले बच्चे के परिचित होते हैं. इस मामले में भी आरोपी और पीड़िता एक ही इलाके में रहते थे. न्यायमूर्ति चव्हाण ने कहा कि आरोपी को जमानत देना पीड़िता के घावों को और अधिक बढ़ाने और सड़ाने जैसा होगा.