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घूसखोरी के आरोपी सतारा के जज को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका, अग्रिम जमानत याचिका खारिज

जस्टिस एन. आर. बोरकर ने इस मामले की सुनवाई अपने चैंबर में की, क्योंकि इसमें एक न्यायिक अधिकारी शामिल थे. सोमवार को जस्टिस बोरकर ने कहा, 'विस्तृत जजमेंट में दिए गए कारणों की वजह से यह याचिका खारिज की जा रही है.' हालांकि, इस पर विस्तृत जजमेंट अभी जारी नहीं किया गया है.

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बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
बॉम्बे हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को सतारा के सेशन कोर्ट जज धनंजय निकम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया. निकम ने घूसखोरी के एक मामले में नामजद किए जाने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी.

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महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने धोखाधड़ी के एक मामले में जमानत देने के लिए कथित तौर पर पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में सतारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश धनंजय निकम के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

चैंबर में हुई सुनवाई

जस्टिस एन.आर. बोरकर ने इस मामले की सुनवाई अपने चैंबर में की, क्योंकि इसमें एक न्यायिक अधिकारी शामिल थे. सोमवार को जस्टिस बोरकर ने कहा, 'विस्तृत जजमेंट में दिए गए कारणों की वजह से यह याचिका खारिज की जा रही है.' हालांकि, इस पर विस्तृत जजमेंट अभी जारी नहीं किया गया है.

क्या है पूरा मामला?

एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पिता, जो रक्षा विभाग में एक असैनिक कर्मचारी हैं, एक सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी के आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं. निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद महिला ने सतारा सत्र न्यायालय में नई जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे जज निकम की अदालत में सुना जाना था.

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ACB के अनुसार, मुंबई के किशोर संभाजी खरात और सतारा के आनंद मोहन खरात ने जज निकम के कहने पर महिला से 5 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी. ACB ने 3 से 9 दिसंबर 2024 के बीच जांच की और रिश्वत मांगने के आरोप को सही पाया.

खारिज किए घूसखोरी के आरोप

धनंजय निकम ने एडवोकेट वीरेश पुरवंत के माध्यम से दाखिल अपनी याचिका में खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है. याचिका में दावा किया गया कि FIR में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि निकम ने खुद रिश्वत की मांग की या उसे स्वीकार किया.

धनंजय निकम का कहना है कि वह मामले में शामिल लोगों की मुलाकातों से अनजान थे और उन तारीखों पर छुट्टी पर या डिप्यूटेशन पर थे, जब ये घटनाएं हुईं. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी अदालत में उस दौरान कोई जमानत आदेश पारित नहीं किया गया.

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