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महाराष्ट्र: बॉम्बे हाईकोर्ट से IPS दत्तात्रेय कराले को झटका, नासिक ट्रांसफर की याचिका खारिज

57 वर्षीय कराले ठाणे शहर में संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात थे, लेकिन 31 जनवरी, 2024 को महाराष्ट्र सरकार ने उनका नासिक ट्रांसफर कर दिया था. वहीं एक अन्य अधिकारी शेखर जेनभाऊ, जो नासिक रेंज के विशेष पुलिस महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे, को विशेष पुलिस महानिरीक्षक, मोटर ट्रांसपोर्ट, पुणे के पद पर ट्रांसफर कर दिया गया था.

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IPS कराले ने हाईकोर्ट में कैट के आदेश को चुनौती दी थी
IPS कराले ने हाईकोर्ट में कैट के आदेश को चुनौती दी थी

बॉम्बे हाईकोर्ट से आईपीएस अधिकारी दत्तात्रेय कराले को झटका लगा है. कारण, हाईकोर्ट ने उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें वह केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दे रहे थे. कैट ने आदेश जारी करते हुए ठाणे से नासिक हुए उनके ट्रांसफर को रद्द कर दिया था. 

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दरअसल, 57 वर्षीय कराले ठाणे शहर में संयुक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात थे, लेकिन 31 जनवरी, 2024 को महाराष्ट्र सरकार ने उनका नासिक ट्रांसफर कर दिया था. वहीं एक अन्य अधिकारी शेखर जेनभाऊ, जो नासिक रेंज के विशेष पुलिस महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे, को विशेष पुलिस महानिरीक्षक, मोटर ट्रांसपोर्ट, पुणे के पद पर ट्रांसफर कर दिया गया था. 

इस तबादले को जेनभाऊ ने कैट की मुंबई पीठ के समक्ष इस आधार पर चुनौती दी थी कि पुणे उनका गृहनगर है और इस साल लोकसभा चुनावों के कारण उनका ट्रांसफर अवैध होगा. इसके बाद दोनों अधिकारियों के ट्रांसफर पर कैट ने रोक लगा दी थी. इसको लेकर कराले ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा जारी सर्कुलर में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी कहा गया है कि जिन अधिकारियों को 3 वर्ष पूरा करने के बाद जिले से बाहर स्‍थानांतरित किया गया है उन्‍हें उसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के भीतर दूसरे जिले में तैनात नहीं किया जाए.

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कराले की ओर से पेश वकील वीरेंद्र तुलजापुरकर ने कहा कि जेनभाऊ को नासिक से बाहर ट्रांसफर करना सही था क्योंकि उन्होंने नासिक में अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया था और कराले को लोकसभा चुनावों के कारण ठाणे से नासिक ट्रांसफर किया गया था. 

दूसरी ओर, जेनभाऊ की ओर से पेश वकील आशुतोष कुंभकोनी ने बताया कि अधिकारी 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं और नियम कहते हैं कि कोई भी अधिकारी जो छह महीने के भीतर सेवानिवृत्त होने वाला है, उसे ईसीआई के निर्देशों के दायरे से छूट दी जाएगी. 

दूसरी ओर राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कराले का समर्थन करते हुए कहा कि उनका ट्रांसफर विभिन्न कारणों से कई अन्य अधिकारियों के ट्रांसफर के साथ एक समग्र स्थानांतरण था, जिसमें ईसीआई द्वारा जारी परिपत्र में उपलब्ध कारण भी शामिल थे. 

तमाम दलीलों पर गौर करने के बाद पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि जेनभाऊ का नासिक से पुणे ट्रांसफर ठीक नहीं था. इस बीच, पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि चूंकि जेनभाऊ नासिक में बने रहने के हकदार हैं और वह चुनाव के बीच में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इसलिए, यदि विशेष पुलिस महानिरीक्षक, नासिक के पद पर कोई चुनाव संबंधी कर्तव्य हैं, तो उन्हें उससे अलग रखा जा सकता है. अदालत ने राज्य सरकार को कराले के ट्रांसफर/पोस्टिंग के लिए उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया. 

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