महाराष्ट्र के एक सरकारी स्कूल में मासूम स्कूली छात्राओं का यौन शोषण करने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोषी पाए गए टीचर को मिली पांच साल कैद की सजा को बरकरार रखा है. रत्नागिरी के एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक को दोषी पाए जाने के बाद निचली अदालत ने पांच साल कैद की सजा सुनाई थी. उसे क्लास वन और टू की तीन छात्राओं के यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया गया था.
जस्टिस किशोर कांत की पीठ ने रत्नागिरी कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें टीचर की सजा को बरकरार रखा गया. कोर्ट ने आरोपी को POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराया था. जिस टीचर को दोषी ठहराया गया था वो बीते 14 सालों से स्कूल में कार्यरत था. स्कूल लगभग 50 लोगों की एक छोटी सी बस्ती में स्थित था और उस स्कूल में केवल छह छात्र पढ़ते थे.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक 24 दिसंबर 2021 को आरोपी शिक्षक ने लड़कियों को ड्रेस दी और घर जाकर इसे पहनने को कहा. उनका घर काफ़ी पास में ही था इसलिए जब लड़कियां वापस आईं, तो शिक्षक ने लड़कों को बाहर जाने के लिए कहा और लड़कियों को क्लास के अंदर आने के लिए कहा.
टीचर ने स्कूल में किया था यौन शोषण
रिपोर्ट के मुताबिक जब लड़कियां अंदर आईं तो टीचर ने उनकी यूनिफॉर्म उतार दी और उनके प्राइवेट पार्ट्स को गलत तरीके से छुआ. पुलिस ने लड़कियों और लड़कों के बयान भी दर्ज किए थे, जिन्होंने यह भी पुष्टि की थी कि जब शिक्षक ने तीन लड़कियों को अंदर बुलाया था और उन्हें बाहर जाने के लिए कहा था.
अगले दिन जब परिजनों ने टीचर को स्कूल जाते देखा तो बच्चों को भी जाने के लिए कहा, लेकिन जब लड़कियों ने जाने से इनकार कर दिया, तब परिजनों को घटना की जानकारी हुई. हालाँकि, घटना के 15 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई थी.
परिजनों के मुताबिक जब उन्हें घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने पहले गांव के सरपंच से शिकायत की और उसके बाद शिक्षा विभाग में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद 8 जनवरी 2022 को एफआईआर दर्ज की गई. टीचर पर लगाए गए आरोप सही पाए गए जिसके बाद उन्हें निचली अदालत ने पांच साल जेल की सजा सुनाई थी. इसके बाद दोषी टीचर ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन उसे वहां से भी झटका लगा है.