अपने तरह के अनूठे मुकदमे में बम्बई हाईकोर्ट ने 2011 में नागपुर में आठ वर्षीय स्कूली छात्र को अगवा करने और उसकी हत्या करने के जुर्म में दोषी को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दोहरी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा ही साथ ही उसे एक और उम्रकैद की सजा सुनाई.
कुश कटारिया के हत्यारे को निचली अदालत ने दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई थी लेकिन सोमवार को नागपुर पीठ ने मुख्य आरोपी आयुष निर्मल पुगलिया (26) को आईपीसी की धारा 364-ए (फिरौती के लिए अगवा) के तहत दोषी पाते हुए उसकी सजा में इजाफा कर उसे एक और उम्रकैद की सजा सुनाई.
निचली अदालत ने शहर के कारोबारी प्रशांत कटारिया के पुत्र कुश की जघन्य हत्या मामले में पुगलिया को चार अप्रैल, 2013 को दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
न्यायमूर्ति अरूण चौधरी और न्यायमूर्ति पीएन देशमुख की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील स्वीकार करते हुए अपहरण, हत्या और सबूतों को नष्ट करने के अपराध के लिए निचली अदालत के फैसले को 'कानूनी रूप से सही और उचित' ठहराया . अदालत ने इसके अलावा अभियोजन पक्ष की दलील को भी सही ठहराया कि अपहरण फिरौती के लिए किया गया था.
बहरहाल, हाईकोर्ट ने पुगलिया को मौत की सजा सुनाने की अभियोजन का अनुरोध अस्वीकार कर दिया अदालत ने दोषी की उम्रकैद की सजा को बढ़ाकर मृत्युदंड में बदलने की राज्य सरकार का अनुरोध ठुकरा दिया.
हाईकोर्ट ने माना कि यह ‘दुर्लभतम’ मामले की श्रेणी में नहीं आता और आरोपी को समाज के लिए खतरा नहीं कहा जा सकता है.
- इनपुट भाषा