बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान डेवलपर से कहा कि अगर वह कोर्ट के स्टे के बाद भी इमारत बनाने का काम जारी रखता है तो उसे भी नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावरों जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें दावा किया गया था कि डेवलपर मुंबई के उपनगरीय खार में एक खेल के मैदान के लिए आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण कर रहा है.
आर्किटेक्ट ने सौंपी रिपोर्ट, 20 सितंबर को होगी सुनवाई
हाई कोर्ट ने इससे हफ्ते एक आर्किटेक्ट को उस स्थल का दौरा करने के लिए नियुक्त किया था, जहां डेवलपर ने 1995 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए निर्माण कार्य शुरू किया था. अदालत ने आर्किटेक्ट को एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था कि यहां किस हद तक निर्माण किया गया है.
पीठ को मंगलवार को सूचित किया गया कि आर्किटेक्ट द्वारा रिपोर्ट पेश कर दी गई है, जिसके बाद अदालत ने मामले को 20 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया. मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा ने कहा, आप सुपरटेक की तरह भाग्य का सामना कर सकते हैं.
खेल के मैदान में हो रहा है निर्माण
पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने मुंबई के डेवलपर पर 1995 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बावजूद निर्माण जारी रखने के लिए फटकार लगाई थी. 1992 के डेवलपमेंट प्लान के तहत एक खेल के मैदान के लिए आरक्षित 6,000 वर्ग मीटर के भूखंड पर कोई निर्माण नहीं करने का निर्देश दिया गया था.
कम हो गया है मैदान का आकार: डेवलपर
इंटीग्रेटेड रियल्टी प्रोजेक्ट को आसपास के प्लॉट को विकसित करने की अनुमति देने वाली महाराष्ट्र सरकार की एजेंसी स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (एसआरए)ने कहा कि प्लॉट की सीमाएं बदल गई हैं.
प्रस्तावित खेल के मैदान का आकार मूल 6,000 वर्ग से घटकर 5,255 वर्ग मीटर हो गया है. अदालत ने पिछले हफ्ते कहा था कि दावों को देखते हुए उसके लिए यह पता लगाना जरूरी है कि खेल के मैदान के लिए कितनी खाली जमीन उपलब्ध है.