बकरीद से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है कि बकरीद पर बलिदान के लिए भेड़ और बकरियों की खरीद या व्यापार पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए.
यह याचिका जीव मैत्री ट्रस्ट ने देवनार बूचड़खाना की ओर से जारी 2 नोटिस के खिलाफ दायर की गई है. देवनार बूचड़खाना के महाप्रबंधक की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि बीएमसी देवनार बूचड़खाने के बाहर लाइसेंस हासिल किए बगैर ही बलिदान के लिए भेड़ और बकरियों को बेचने की अनुमति या लाइसेंस दे रहा है.
याचिका में दावा किया गया है कि यह कई नियमों का उल्लंघन है, साथ ही जानवरों से जुड़े देश की शीर्ष अदालत के गाइडलाइन और आदेशों का उल्लंघन भी है.
देवनार बूचड़खाना 22 अगस्त से 24 अगस्त के बीच बकरीद को देखते हुए लाइसेंस प्रदान कर रहा है.
द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलटी टू एनिमल्स एक्ट राज्य में चुनिंदा जानवरों की ही बलि देने की अनुमति देता है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र जीव संरक्षण एक्ट के तहत ईद के लिए राज्य में भैंस, भेड़ और बकरी की ही बलि दी जा सकती है. इसमें ऊंट शामिल नहीं है.
इससे पहले देश में सभी बंदरगाहों से पशुधन निर्यात पर सरकार की ओर से अनिश्चितकालीन रोक लगा दी गई. जानवरों के हितों के लिए काम करने वाली संस्थाएं की ओर से ऐसी पाबंदी की मांग लंबे समय से की जा रही थी.
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने बकरीद को देखते हुए पिछले हफ्ते सभी बंदरगाहों से पशुधन निर्यात रोकने का निर्णय लिया. मंत्रालय के राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, 'हमें यह जानकारी मिली कि डीपीटी के टूना पोर्ट (दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट, कच्छ) से भेड़ों और बकरियों का निर्यात किया जा रहा था. पशुधन की ऐसी एक खेप दुबई जा रही थी. इसका मतलब है कि उन्हें वध के लिए निर्यात किया जा रहा था.'
गौरतलब है कि पशुओं की ऐसी बड़ी खेप ईद-उल-अजहा यानी बकरीद से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाती है. यूएई में इस त्योहार के अवसर पर ऊंटों और सांड़ों के अलावा बड़े पैमाने पर बकरियों और भेड़ों की कुर्बानी दी जाती है.
मंत्रालय ने यह कदम ऐसे समय में उठाया जब एनडीए सरकार के दौरान ही देश से पशुधन निर्यात में काफी तेजी आई थी. पशुधन निर्यात साल 2013-14 के 69.30 करोड़ रुपए से बढ़कर साल 2016-17 में 527.40 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. देश से खासकर भेड़ और बकरियों का निर्यात
होता है.