scorecardresearch
 

देश का पहला गांव, जिसने पारित किया CAA और NRC के खिलाफ प्रस्ताव

26 जनवरी को हुई ग्राम पंचायत की बैठक में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव पर सरपंच और उप सरपंच ने हस्ताक्षर किए, जिसके बाद इसे जिला प्रशासन को भेज दिया गया.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Advertisement

  • अहमदनगर की इस्लाक ग्राम सभा ने 26 जनवरी को पारित हुआ प्रस्ताव
  • एनपीआर में भी असहयोग का निर्णय, गांव में नहीं हैं मुस्लिम परिवार

देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद पूरे देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की विधानसभा से इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो चुके हैं. वहीं अब एक गांव से भी सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने की खबर है.

बताया जाता है कि महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के इस्लाक गांव में गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी को हुई ग्राम पंचायत की बैठक में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव पर सरपंच और उप सरपंच ने हस्ताक्षर किए, जिसके बाद इसे जिला प्रशासन को भेज दिया गया. अहमदनगर शहर के करीब स्थित इस गांव की आबादी लगभग दो हजार है. हालांकि यहां मुस्लिम आबादी शून्य है.

Advertisement

resolution_020420094101.jpgपारित प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा गया

यह भी पढ़ें- शाहीन बाग: मां के साथ प्रदर्शन में आता था 4 महीने का जहान, ठंड से हुई मौत

इस संबंध में गांव के सरपंच बाबासाहेब गोरांगे ने कहा कि गांव की अधिकांश आबादी मध्यम वर्ग के, छोटे किसान हैं. काफी लोगों के पास अपनी जमीन नहीं है, और ना ही कोई पुराना कागजात ही है जिससे ये अपनी नागरिकता सिद्ध कर सकें. उन्होंने कहा कि पीढ़ियों पहले से रह रही ऐसे लोगों की आबादी के लिए नागरिकता साबित करना लगभग नामुमकिन है. सरपंच ने गांव में मुस्लिम आबादी शून्य बताते हुए कहा कि यह प्रस्ताव पूरी तरह से मानवीय आधार पर पारित किया गया है.

यह भी पढ़ें- यूपी: PFI पर कसा शिकंजा, पिछले 4 दिनों में 108 सदस्य गिरफ्तार

खुद भी छोटे किसान सरपंच गोरांगे ने बताया कि दस्तावेजों के अभाव में गांव की बड़ी आबादी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाती है. गणतंत्र दिवस के दिन हुई ग्राम सभा की बैठक के दौरान ग्राम पंचायत के सदस्य ने ग्रामीणों को यह कानून लागू किए जाने पर होने वाली समस्याएं बताईं. इसके बाद इस पर चर्चा हुई और फिर एनआरसी के साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू किए जाने पर असहयोग का प्रस्ताव पारित किया गया.

Advertisement

(अहमदनगर से इसरार चिश्ती के इनपुट के साथ)

Advertisement
Advertisement