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अगले 7 दिन में नवाब मलिक के खिलाफ दर्ज हो FIR, अनुसूचित जाति आयोग ने महाराष्ट्र पुलिस को दिए आदेश

नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े ने दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) से शिकायत की थी कि महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने उनके खिलाफ अत्याचार किया है. जिसपर आयोग ने महाराष्ट्र पुलिस को 7 दिनों के अंदर, नवाब मलिक के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं. 

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समीर वानखेड़े ने की थी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से शिकायत
समीर वानखेड़े ने की थी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से शिकायत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वानखेड़े ने आयोग से एसआईटी के आचरण और मलिक द्वारा किए गए उत्पीड़न की जांच करने की मांग की
  • SIT को 7 मार्च से पहले अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपने के आदेश

राजस्व खुफिया निदेशालय के अधिकारी समीर वानखेड़े ने दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) से शिकायत की थी. जिसपर आयोग ने महाराष्ट्र पुलिस को अगले 7 दिनों के अंदर, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने के आदेश दिए हैं. 

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NCSC में की गई नवाब मलिक के खिलाफ शिकायत 

समीर वानखेड़े ने आयोग से कहा था कि नवाब मलिक ने उनके खिलाफ अत्याचार किया है. वानखेड़े पहले नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (NCB) में थे. उन्होंने मलिक के दामाद को प्रतिबंधित पदार्थ से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया था. दामाद के जेल से बाहर आने के बाद, मलिक ने वानखेड़े की जाति और धर्म से जुड़े मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया था.

मलिक ने आरोप लगाया था कि वानखेड़े मुस्लिम थे, अनुसूचित जाति महार समुदाय के नहीं थे. इसी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर, वानखेड़े ने यूपीएससी की परीक्षा पास की. मलिक के आरोपों के आधार पर, वानखेड़े की जाति की जांच के लिए महाराष्ट्र में कास्ट स्क्रूटनी कमेटी बनाई गई थी. 

वानखेड़े ने एनसीएससी से संपर्क कर, मलिक के आचरण की जांच करने और प्रेस कांफ्रेंसों और जनसभाओं के साथ-साथ, उनके और उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट द्वारा किए गए उत्पीड़न, जाति के दुरुपयोग और अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. 

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'मलिक का हमारी आस्था पर सवाल उठाना, बेतुका और बदले से भरा है'

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में की गई शिकायत में कहा गया है कि वानखेड़े और उनका परिवार हमेशा हिंदू था और हिंदू ही रहेगा. वानखेड़े ने शिकायत में कहा है- 'हम कभी भी आस्था या व्यवहार से मुस्लिम नहीं रहे. हमने धार्मिक रूप से हिंदू धर्म का पालन किया है और आज भी वही कर रहे हैं. जाति प्रमाण पत्र फर्ज़ी साबित करने के लिए मलिक का हमारी आस्था पर सवाल उठाना, बेतुका और बदले की भावना से भरा है , क्योकि उनके दामाद को गिरफ्तार किया गया था.'

SIT के आचरण की जांच करने की मांग की  

वानखेड़े ने आयोग से एसआईटी के आचरण और मलिक द्वारा किए गए उत्पीड़न की जांच करने की मांग की है. असल में, वानखेड़े की चाची गुनफाबाई गंगाधर भालेराव ने भी आयोग से संपर्क किया था. मलिक द्वारा लगाए गए आरोपों पर, वानखेड़े की चाची ने 9 नवंबर, 2021 को मुकुंदवाड़ी, औरंगाबाद पुलिस स्टेशन में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार की शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, 27 दिसंबर को शिकायत को फिर से एसआईटी के पास भेज दिया गया और मौसी को शिकायत में अपना बयान दर्ज कराने के लिए मुंबई के बोरीवली पुलिस स्टेशन में बुलाया गया.

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वानखेड़े ने शिकायत में कहा, "मेरी चाची एक वरिष्ठ नागरिक और कैंसर रोगी हैं. वह औरंगाबाद में रहती हैं. अपना बयान दर्ज करने के लिए मुंबई जाना उनके लिए संभव नहीं है. लिहाजा उन्होंने फोन और ईमेल के माध्यम से या आवास पर किसी अधिकारी को भेजकर या स्थानीय पुलिस स्टेशन में बयान दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. लेकिन उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया. एसआईटी ने बयान दर्ज नहीं किया. यह, जांच में एसआईटी की गलती और दुर्व्यवहार को साबित करता है.'

उन्होंने निष्पक्ष जांच दल का गठन करने की भी मांग की है. साथ ही कहा है कि सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के नाते, मलिक किसी भी जांच को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए, निष्पक्ष जांच के लिए, आयोग द्वारा एक स्वतंत्र जांच दल गठन करना चाहिए. आयोग ने एसआईटी को सुनवाई की अगली तारीख यानी 7 मार्च से पहले, अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपने के आदेश दिए हैं.

 

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