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सहाना समूह, डीएचएफएल और सुधाकर शेट्टी के 12 ठिकानों पर सीबीआई ले रही तलाशी, 34615 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का मामला

सीबीआई की टीम मुंबई सहित 12 स्थानों पर तलाशी ले रही है. बताया जा रहा है कि ये बैंक धोखाधड़ी का अब तक का सबसे बड़ा मामला है. दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, उसके तत्कालीन मुख्य प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, तत्कालीन निदेशक धीरज वधावन, व्यवसायी सुधाकर शेट्टी पर धोखाधड़ी का आरोप है.

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17 बैंकों के कंसोर्टियम के साथ धोखाधड़ी का है मामला (फाइल फोटो)
17 बैंकों के कंसोर्टियम के साथ धोखाधड़ी का है मामला (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • डीएचएफएल के कपिल, धीरज वधावन पर है आरोप
  • नीरव मोदी के घोटाला मामले से तिगुना बड़ा है फ्रॉड

सीबीआई 34,614 रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में बुधवार को मुंबई और महाराष्ट्र में डीएचएफएल, उसके प्रमोटरों कपिल वधावन, धीरज वधावन, व्यवसायी सुधाकर शेट्टी और अन्य से जुड़े परिसरों में 12 स्थानों पर छापेमारी कर रही है. इंडिया टुडे को पता चला है कि यह देश का सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी है, जो नीरव मोदी के घोटाला मामले का लगभग तिगुना है.

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एफआईआर के अनुसार, दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, उसके तत्कालीन मुख्य प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, तत्कालीन निदेशक धीरज वधावन, व्यवसायी सुधाकर शेट्टी और अन्य आरोपियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के संघ को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश रची.

सीबीआई के मुताबिक साजिश के तहत आरोपी कपिल वधावन और अन्य ने कंसोर्टियम बैंकों को 42,871 करोड़ रुपये के बड़े ऋणों को मंजूरी देने के लिए प्रेरित किया. डीएचएफएल की पुस्तकों में धोखाधड़ी करके धन के एक महत्वपूर्ण हिस्से का गबनकर उसका दुरुपयोग किया. कंसोर्टियम बैंकों का वैध बकाया, जिससे कंसोर्टियम लेंडर्स को 34,615 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

सीबीआई ने इन्हें बनाया है आरोपी

सीबीआई ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल), कपिल वधावन, धीरज वधावन, स्काईलार्क बिल्डकॉन प्रा. लिमिटेड, दर्शन डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड, सिगटिया कंस्ट्रक्शन बिल्डर्स प्रा. लिमिटेड, टाउनशिप डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड, शिशिर रियलिटी प्रा. लिमिटेड, सनब्लिंक रियल एस्टेट प्रा. लिमिटेड, सुधाकर शेट्टी और अन्य को मामले में आरोपी बनाया गया है. सभी आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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2010 से फर्मों को दिया गया कर्ज

बैंकों ने 2010 से आरोपी फर्मों को ऋण देना शुरू कर दिया था. 2019 में 34,615 करोड़ रुपये से अधिक के ऋणों को गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित किया गया था.

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